आधुनिक मानसिकता और वेद
मानव समाज का पतन और उत्थान लोगों की मानसिक स्थिति पर निर्भर करता है,और यही स्थिति मानव जीवन के भविष्य की सीढ़ी बनती है,जिसके सकारात्मक स्थिति से कोई शंकराचार्य बनता…
मानव समाज का पतन और उत्थान लोगों की मानसिक स्थिति पर निर्भर करता है,और यही स्थिति मानव जीवन के भविष्य की सीढ़ी बनती है,जिसके सकारात्मक स्थिति से कोई शंकराचार्य बनता…
आज के सुशिक्षित मानव ने जीवन यापन हेतु अनेकों व्यवस्थाएं कर ली है। हर प्रकार के सुविधाओं से सम्पन्न हो चुके हैं। विश्राम हेतु सुंदर भवन है, भवन में आरामदायक…
वेदोनित्यमधीयतां तदुदितं कर्मस्वनुष्ठीयतां, वेद में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष, चार प्रकार के पुरुषार्थ कहे गए हैं,ये चारों मानव जीवन के संतुलन गतिविधयों के लिए बनाया गया है ,जिसमें सर्वप्रथम…
वेदोsखिलोधर्ममूलं वेद एक ऐसा अपौरुषेय ग्रंथ है जिसमें अनंत काल से चल रही इस सृष्टि को ज्ञान, कर्म, संस्कार इत्यादि जीवनोपयोगी, मोक्षोपयोगी, विषयों का विस्तृत वर्णन किया गया है। इस…