सप्तम भाव को ज्योतिष में महत्वपूर्ण क्यों माना गया है?
सप्तम भाव, कुंडली के इस भाव को वैदिक ज्योतिष में कितना महत्व दिया गया है? सप्तम भाव को ज्योतिष में किस क्यों महत्वपूर्ण माना गया है? यह जातक के किन…
सप्तम भाव, कुंडली के इस भाव को वैदिक ज्योतिष में कितना महत्व दिया गया है? सप्तम भाव को ज्योतिष में किस क्यों महत्वपूर्ण माना गया है? यह जातक के किन…
तैत्तिरीय ब्रह्मणम् । अष्टकम् – 3 प्रश्नः – 1तैत्तिरीय संहिताः । काण्ड 3 प्रपाठकः – 5 अनुवाकम् – 1 ओम् ॥ अ॒ग्निर्नः॑ पातु॒ कृत्ति॑काः । नक्ष॑त्रं दे॒वमि॑न्द्रि॒यम् । इ॒दमा॑सां-विँचक्ष॒णम् ।…
“गायन्तं त्रायते इति गायत्री”ॐ भूर्भुव॒स्सुवः॑ ॥तथ्स॑वि॒तुर्वरे᳚ण्यं॒ भर्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि ।धियो॒ यो नः॑ प्रचोदया᳚त् ॥ 1। शरीर शुद्धि अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां᳚ गतोऽपिवा ।यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरश्शुचिः ॥ 2। आचमनम्ॐ…
ॐ ग॒णानां᳚ त्वा ग॒णप॑तिग्ं हवामहे क॒विं क॑वी॒नामु॑प॒मश्र॑वस्तमम् । ज्ये॒ष्ठ॒राजं॒ ब्रह्म॑णां ब्रह्मणस्पत॒ आ नः॑ शृ॒ण्वन्नू॒तिभि॑स्सीद॒ साद॑नम् ॥ प्रणो॑ दे॒वी सर॑स्वती॒ । वाजे॑भिर्-वा॒जिनी॑वती । धी॒नाम॑वि॒त्र्य॑वतु ॥ ग॒णे॒शाय॑ नमः । स॒रस्व॒त्यै नमः ।…
ब्रह्मदेव के कर्णों से १० दिशाओं की उत्पत्ति होती है और फिर उनके अनुरोध पर ब्रह्मदेव उनके पतियों के रूप में ८ देवताओं की रचना करते हैं और उन्हें ८…
जगत्कारणमज्ञानमेकमेव चिदन्वितम्।एक एव मनः साक्षी जानात्येवं जगत्त्रयम्॥१॥ विवेकयुक्तबुद्ध्याहं जानाम्यात्मानमद्वयम्।तथापि बन्धमोक्षादिव्यवहारः प्रतीयते॥२॥ विवर्तोऽपि प्रपञ्चो मे सत्यवद्भाति सर्वदा।इति संशयपाशेन बद्धोऽहं छिन्द्धि संशयम्॥३॥ एवं शिष्यवचः श्रुत्वा गुरुराहोत्तरं स्फुटम्।नाज्ञानं न च बुद्धिश्च न जगन्न…
॥ दोहा॥जय जय तुलसी भगवती सत्यवती सुखदानी।नमो नमो हरि प्रेयसी श्री वृन्दा गुन खानी॥श्री हरि शीश बिरजिनी, देहु अमर वर अम्ब।जनहित हे वृन्दावनी अब न करहु विलम्ब॥॥ चौपाई ॥धन्य धन्य…
॥ दोहा ॥नमो नमो विन्ध्येश्वरी,नमो नमो जगदम्ब ।सन्तजनों के काज में,करती नहीं विलम्ब ॥।।चौपाई।।जय जय जय विन्ध्याचल रानी।आदिशक्ति जगविदित भवानी॥सिंहवाहिनी जै जगमाता।जै जै जै त्रिभुवन सुखदाता॥कष्ट निवारण जै जगदेवी।जै जै…
॥ दोहा॥देवि पूजित, नर्मदा, महिमा बड़ी अपार।चालीसा वर्णन करत, कवि अरु भक्त उदार॥इनकी सेवा से सदा, मिटते पाप महान।तट पर कर जप दान नर, पाते हैं नित ज्ञान॥॥ चौपाई ॥जय-जय-जय…
॥ दोहा॥जय जय जय जग पावनी,जयति देवसरि गंग।जय शिव जटा निवासिनी,अनुपम तुंग तरंग॥॥ चौपाई ॥जय जय जननी हरण अघ खानी।आनंद करनि गंग महारानी॥जय भगीरथी सुरसरि माता।कलिमल मूल दलनि विख्याता॥जय जय…