देवीयों एवं सज्जनों,
श्री गीता जी को भली भाँति प्रकार से पढ़कर अर्थ एवं भाव सहित अंतः करण में धारण कर लेना हमारा मुख्य कर्तव्यों में से एक है. जो कि स्वयं श्री पद्मनाभ श्री विष्णु भगवान के मुखारविंद से निकली हुई है.
जिनके नाभि में कमल है, जो नारायण है और सम्पूर्ण जगत के आधार हैं, जो आकाश के सादृश्य सर्वत्र व्याप्त हैं, नीले मेघ के समान जिनका वर्ण है ऐसे लक्ष्मीपति, कमल नेत्र भगवान श्री विष्णु को हम नमस्कार करते हैं….
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