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ज्ञानसंजीवनी

ॐ सह नाववतु। सह नौ भुनक्तु। सह वीर्यं करवावहै। तेजस्विनावधीतमस्तु मा विद्विषावहै।।ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः।।
ॐ शं नो मित्रः शं वरुणः। शं नो भवत्वर्यमा। शं न इन्द्रो ब्रृहस्पतिः। शं नो विष्णुरुरुक्रमः। नमो ब्रह्मणे। नमस्ते वायो। त्वमेव प्रत्यक्षं ब्रह्मासि। त्वामेव प्रत्यक्षम् ब्रह्म वदिष्यामि। ॠतं वदिष्यामि। सत्यं वदिष्यामि। तन्मामवतु। तद्वक्तारमवतु। अवतु माम्। अवतु वक्तारम् ॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥

जगद्गुरु श्रीरामभद्राचार्य जी


धर्मचक्रवर्ती, महामहोपाध्याय, श्रीचित्रकूटतुलसीपीठाधीश्वर, महाकवि, प्रस्थानत्रयीभाष्यकार,कथाकार

आचार्य पंडित श्री मुनिदेव चतुर्वेदी जी

व्याकरणाचार्य सामाजिक कार्यकर्ता

स्वामी श्री गोविंददेवगिरी जी महाराज

महर्षि वेदव्या प्रतिष्ठान संस्थापक , संत ज्ञानेश्वर गुरुकुल ,
श्रीकृष्ण सेवनिधि , गीता परिवार संस्थापक , श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र कोषाध्यक्ष

भाईश्री रमेशभाई ओझा

वेदान्तदर्शन व्याख्याता, रामायण कथाकार, श्रीमद्भागवत कथावाचक,

स्वामी श्री स्वर्गानन्द जी महाराज

संस्थापक- सत् समाज -सदमार्गी अखाड़ा, सत्यसाधक

माँ आनंदमूर्ति गुरु माँ

योग गुरु ,धार्मिक गुरु

योगगुरु बाबा रामदेव

योगगुरु

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज

महंत -भारतमाता मंदिर, जूना अखाड़ा

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