श्रीसन्तोषी चालीसा
॥ दोहा॥श्री गणपति पद नाय सिर,धरि हिय शारदा ध्यान।संतोषी मां की करुँ,कीर्ति सकल बखान॥॥ चौपाई ॥जय संतोषी मां जग जननी,खल मति दुष्ट दैत्य दल हननी।गणपति देव तुम्हारे ताता,रिद्धि सिद्धि कहलावहं…
॥ दोहा॥श्री गणपति पद नाय सिर,धरि हिय शारदा ध्यान।संतोषी मां की करुँ,कीर्ति सकल बखान॥॥ चौपाई ॥जय संतोषी मां जग जननी,खल मति दुष्ट दैत्य दल हननी।गणपति देव तुम्हारे ताता,रिद्धि सिद्धि कहलावहं…