श्री आद्य शंकराचार्य विरचित- भज गोविन्दम्
भज गोविन्दं भज गोविन्दं,गोविन्दं भज मूढ़मते।संप्राप्ते सन्निहिते काले,न हि न हि रक्षति डुकृञ् करणे॥१॥ हे मोह से ग्रसित बुद्धि वाले मित्र, गोविंद को भजो, गोविन्द का नाम लो, गोविन्द से…
भज गोविन्दं भज गोविन्दं,गोविन्दं भज मूढ़मते।संप्राप्ते सन्निहिते काले,न हि न हि रक्षति डुकृञ् करणे॥१॥ हे मोह से ग्रसित बुद्धि वाले मित्र, गोविंद को भजो, गोविन्द का नाम लो, गोविन्द से…
रामचरितमानस में शिक्षा ही शिक्षा भरी पड़ी है, इसमें भक्ति के साथ साथ ज्ञान की जो अद्भुत बातें सरल भाषा में भरी हुई है यदि उसे जीवन में उतारा जाय…
पातंजलयोगदर्शन में कुल चार पाद हैं, जिसमें से साधनपाद के सूत्र २९ में योग के आठ अंग बताएँ हैं : यमनियमासनप्राणायामप्रत्याहारधारणाध्यानसमाधयोऽष्टाङ्गानि।।यमनियमासनप्राणायामप्रत्याहारधारणाध्यानसमाधयः – यम, नियम, आसन, प्राणायाम, धारणा, ध्यान और समाधि…
सभी चर अचर प्राणी, यह सम्पूर्ण सृष्टि पंच महाभूतों से बनी हुई है और यह सभी का अनुभव है कि कोई भी अपनी इच्छा से यह शरीर धारण नहीं करते…
आत्मचिंतन से तात्पर्य है स्वयं की समीक्षा करना अर्थात स्वयं का परीक्षण करना, स्वयं का अध्ययन करना, स्वयं के गुण दोषों का विवेचन स्वयं से स्वयं में करना।व्यक्तित्व विकास बाहरी…
जो भी मनुष्य ऊँचे कर्म या सर्वोत्तम कर्म करते हैं वे कहीं न कहीं आध्यात्मिकता से जुड़े हुए होते हैं, उनमें कहीं न कहीं आध्यात्मिक अंश,सात्विक अंश अवश्य सामान्य मनुष्य…
नमामि भक्त वत्सलं, कृपालु शील कोमलं।भजामि ते पदांबुजं, अकामिनां स्वधामदं॥भावार्थ : हे प्रभु! आप भक्तों को शरण देने वाले है, आप सभी पर कृपा करने वाले है, आप अत्यंत कोमल…
सुनसान जंगल में एक लकड़हारे से पानी का लोटा पीकर प्रसन्न हुआ राजा कहने लगा― हे पानी पिलाने वाले ! किसी दिन मेरी राजधानी में अवश्य आना, मैं तुम्हें पुरस्कार…
गीता की महिमा कहना अर्थात ईश्वर की महिमा कहने की तरह ही है अर्थात जो कुछ कहो सब कुछ कम ही है, जितनी महिमा गाओ उतना कम है । भगवान…
छान्दोग्य उपनिषद की कहानी है- ऋषि आरुणि का पुत्र श्वेतकेतु गुरुकुल से शिक्षा ग्रहण करके जब लौटा, तब उसके पिता को अनुभूति हुई कि पुत्र में कुछ अहंकार पैदा हो…