Category: डा॰ आशीष पाण्डेय

आओ मिलकर चलें परम शांति की ओर

2 सितम्बर से प‍ितृ पक्ष

2 सितम्बर से प‍ितृ पक्ष शुरू हो रहा है। यह पक्ष 15 द‍िनों का होता है। जो क‍ि भाद्रपद की पूर्णिमा से शुरू होता है और अश्विन की अमावस्‍या को…

गीता का श्लोक ७/७ एवं अद्वैत मत

गीता का श्लोक ७/७ एवं अद्वैत मत का समर्थन नहीं करता है। यह श्लोक इस प्रकार है।मत्तः परतरं नान्यत्किञ्चिदस्ति धनञ्जय।मयि सर्वमिदं प्रोतं सूत्रे मणिगणा इव॥भावार्थहे धनंजय! मुझसे भिन्न दूसरा कोई…

भगवद्गीता – बारहवाँ अध्याय – भक्तियोग प्राक्कथन

भगवद्गीता का बारहवाँ अध्याय भक्तियोग के नाम से प्रसिद्ध है। यह भगवद्गीता के अठारह अध्यायों में से सर्वाधिक लोकप्रिय अध्यायों में परिगणित है। आकार की दृष्टि से भले ही यह…

भगवद्गीता श्लोक ६/१ – एक चिन्तन

अनाश्रित: कर्मफलं कार्यं कर्म करोति य:।स संन्यासी च योगी च न निरग्निर्न चाक्रिय:।। – भगवद्गीता ६/१ श्लोक के दूसरे पद में कहा गया है कि कार्यं कर्म करोति य:। अर्थात…

प्राचीन भारतीय विज्ञान

प्राचीन काल में वैदिक सभ्यता तथा ज्ञान विश्व व्यापी था। भारत में सभी प्रकार के विचारों को स्वीकार किया गया, अतः यहाँ विदेशी आक्रमण द्वारा नष्ट होने पर भी ज्ञान…

महाभारत का एक असाधारण पात्र – बर्वरीक

बर्वरीक घटोत्कच का पुत्र और महाबली भीम का पौत्र था।उसकी माता का नाम माऊवती था जो यादवों के राजा माऊ की पुत्री थी।बर्बरीक ने देवी की तपस्या कर उनसे तीन…

रामायण पर एक द्दृष्टि

किसी भी ग्रन्थ, लेख या वक्तव्य का उद्देश्य उसके उपक्रम में ही निहित रहता है। ग्रन्थकार, लेखक अथवा वक्ता अपनी कृति के आरम्भ में ही उसके उद्देश्य का उल्लेख करता…

निष्पक्षता के निहितार्थ

जब दो विरोधी पक्ष किसी बिन्दु पर विवाद करने लगें तो धर्मनिष्ठ (ईमानदार) लोगों से समाज द्वारा यह अपेक्षा की जाती है कि वे अपने मत व्यक्त करते समय निष्पक्ष…

गीता सुगीता कर्तव्या किमन्यैः शास्त्रविस्तरैः

यह प्रसिद्ध श्लोक गीता की प्रशंसा में किसी कवि ने लिखा है। गीता की विषयवस्तु इतनी लोकप्रिय है कि जो एक बार इसको पढ़ता या सुनता है वह बिना आकर्षित…

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