Category: आचार्य अभिजीत

युवाओं को वैदिक मार्गदर्शन (आचार्य अभिजीत जी)

आज भागदौड़ के आपाधापी में हमारे युवाओं के जीवन में  नाना प्रकार की कठिनाइयां और उन्हें जीवन के हरेक मोड़ पर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। सभी विषयों…

मेष राशि (एक परिचय)

आद्यः स्मृतो मेष समान मूर्ति कालस्य मूर्धा गदितः पुराणैः।सोsजाविका संचर कन्दराद्रिस्--तेयाग्निधात्वाकररत्नभूमिः।।  मेष राशि का स्वामी मंगल होता है। मंगल ग्रह जीवन में पराक्रम और उत्साह का कारक होता है। मेष राशि…

आधुनिक मानसिकता और वेद

मानव समाज का पतन और उत्थान  लोगों की मानसिक स्थिति पर निर्भर करता है,और यही स्थिति मानव जीवन के भविष्य की सीढ़ी बनती है,जिसके सकारात्मक स्थिति से  कोई शंकराचार्य बनता…

सनातन में सुबह उठने के पश्चात किए जाने वाले कुछ वैदिक कर्म

।। प्रातः कर दर्शनम्।।  प्राचीन वैदिक संस्कृति में वर्णित तथा आधुनिक विज्ञान के द्वारा मानित प्रभार कर दर्शन का व्यक्ति के जीवन में बड़ा महत्व है।  इसलिए आँखों के खुलते…

प्रतरुत्थानम् (प्रातः जागरण पर शास्त्रीय कथन)

“प्रातःकालीन सूर्यदेव स्वास्थ्यप्रद पोषक तत्वों को लाकर जीवों को प्रदान करते हैं। ज्ञानी मनुष्य इस तथ्य से परिचित होते हैं एवं वे सूर्योदय से पूर्व उठकर सूर्यरश्मियों से सन्निहित प्राणतत्व…

मानव जीवन में वैदिक दिनचर्या

आइये हम ज्ञान संजीवनी के माध्यम से चतुर्विध पुरुषार्थ ( धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष ) को सिद्ध करने तथा अपने जीवन के उद्देश्य समझने का सार्थक प्रयास करें – आचार्य…

वैदिक शिक्षा

आज के सुशिक्षित मानव ने जीवन यापन हेतु अनेकों व्यवस्थाएं कर ली है। हर प्रकार के सुविधाओं से सम्पन्न हो चुके हैं। विश्राम  हेतु सुंदर भवन है, भवन में आरामदायक…

श्रीशिवापराधक्षमापण स्तोत्रम्

आदौ कर्मप्रसङ्गात्कलयति कलुषं मातृकुक्षौ स्थितं मां,विण्मूत्रामेध्यमध्ये क्वथयति नितरां जाठरो जातवेदाः ।यद्यद्वै तत्र दुःखं व्यथयति नितरां शक्यते केन वक्तुं,क्षन्तव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शम्भो॥ बाल्ये दुःखातिरेको मललुलितवपुः स्तन्यपाने पिपासा,नो…

मन की वासनाओं को दूर करती है श्रीमद्भगवद्गीता

मलनिर्मोचनं पुंसां जलस्नानं दिने दिने ।सकृद्गीतांभसि स्नानं संसारमलनाशनम्  ।। (जल में प्रतिदिन किया हुआ स्नान मनुष्यों के केवल शारीरिक मल का नाश करता है, परन्तु गीताज्ञानरूप जल में एक बार…

फेंफड़े का रोग और ज्योतिष विज्ञान

जन्म कुंडली के पहले भाव से लेकर बारहवें भाव तक शरीर के विभिन्न अंगों को देखा जाता है और जिस अंग में पीड़ा होती है तो उस अंग से संबंधित…

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