Category: आचार्य अभिजीत

सप्तम भाव को ज्योतिष में महत्वपूर्ण क्यों माना गया है?

सप्तम भाव, कुंडली के इस भाव को वैदिक ज्योतिष में कितना महत्व दिया गया है? सप्तम भाव को ज्योतिष में किस क्यों महत्वपूर्ण माना गया है? यह जातक के किन…

॥ अथ माण्डुक्योपनिषत् ॥

ॐ इत्येतदक्षरमिदꣳ सर्वं तस्योपव्याख्यानंभूतं भवद् भविष्यदिति सर्वमोङ्कार एवयच्चान्यत् त्रिकालातीतं तदप्योङ्कार एव ॥ १॥सर्वं ह्येतद् ब्रह्मायमात्मा ब्रह्म सोऽयमात्मा चतुष्पात् ॥ २॥जागरितस्थानो बहिष्प्रज्ञः सप्ताङ्ग एकोनविंशतिमुखः स्थूलभुग्वैश्वानरः प्रथमः पादः ॥ ३॥स्वप्नस्थानोऽन्तः प्रज्ञाः सप्ताङ्ग…

वैद्यनाथाष्टकम्

श्रीरामसौमित्रिजटायुवेद षडाननादित्य कुजार्चिताय ।श्रीनीलकण्ठाय दयामयाय श्रीवैद्यनाथाय नमःशिवाय ॥ 1॥ शम्भो महादेव शम्भो महादेव शम्भो महादेव शम्भो महादेव ।शम्भो महादेव शम्भो महादेव शम्भो महादेव शम्भो महादेव ॥ गङ्गाप्रवाहेन्दु जटाधराय त्रिलोचनाय स्मर…

पंचामृत अभिषेक Panchamrit Abhishek

क्षीराभिषेकंआप्या॑यस्व॒ समे॑तु ते वि॒श्वत॑स्सोम॒वृष्णि॑यम् । भवा॒वाज॑स्य सङ्ग॒धे ॥ क्षीरेण स्नपयामि ॥ दध्याभिषेकंद॒धि॒क्रावण्णो॑ अ॒कारिषं॒ जि॒ष्णोरश्व॑स्य वा॒जिनः॑ । सु॒र॒भिनो॒ मुखा॑कर॒त्प्रण॒ आयूग्ं॑षितारिषत् ॥ दध्ना स्नपयामि ॥ आज्याभिषेकंशु॒क्रम॑सि॒ ज्योति॑रसि॒ तेजो॑ऽसि दे॒वोवस्स॑वितो॒त्पु॑ना॒ त्वच्छि॑द्रेण प॒वित्रे॑ण॒ वसो॒…

कुंभ राशि में शनिदेव होने जा रहे है वक्री

पंचांग के अनुसार शनि ग्रह का वक्री होना महत्वपूर्ण माना जाता है. शनि की इस चाल का सभी 12 राशियों पर अलग-अलग प्रभाव देखने को मिलता है. किसी के लिए…

श्री रुद्रं नमकम्

श्री रुद्र प्रश्नः कृष्ण यजुर्वेदीय तैत्तिरीय संहिताचतुर्थं वैश्वदेवं काण्डं पञ्चमः प्रपाठकः ॐ नमो भगवते॑ रुद्रा॒य ॥नम॑स्ते रुद्र म॒न्यव॑ उ॒तोत॒ इष॑वे॒ नमः॑ ।नम॑स्ते अस्तु॒ धन्व॑ने बा॒हुभ्या॑मु॒त ते॒ नमः॑ ॥ या त॒…

पत्नी वामांगी क्यों कहलाती है?

वामांगी_महत्व शास्त्रों में पत्नी को वामंगी कहा गया है, जिसका अर्थ होता है बाएं अंग का अधिकारी। इसलिए पुरुष के शरीर का बायां हिस्सा स्त्री का माना जाता है।इसका कारण…

पाठविधिः

साधक स्नान करके पवित्र हो आसन-शुद्धि की क्रिया सम्पन्न करके शुद्ध आसन पर बैठे; साथ में शुद्ध जल, पूजन-सामग्री और श्रीदुर्गासप्तशती की पुस्तक रखे। पुस्तक को अपने सामने काष्ठ आदि…

अथ सप्तश्‍लोकी दुर्गा

शिव उवाच देवि त्वं भक्तसुलभेसर्वकार्यविधायिनी।कलौ हि कार्यसिद्ध्यर्थमुपायंब्रूहि यत्नतः॥ देव्युवाचश्रृणु देव प्रवक्ष्यामिकलौ सर्वेष्टसाधनम्।मया तवैव स्नेहेनाप्यम्बास्तुतिः प्रकाश्यते॥ विनियोगःॐ अस्य श्रीदुर्गासप्तश्‍लोकीस्तोत्रमन्त्रस्यनारायण ऋषिः,अनुष्टुप्‌ छन्दः,श्रीमहाकालीमहालक्ष्मीमहासरस्वत्यो देवताः,श्रीदुर्गाप्रीत्यर्थं सप्तश्‍लोकीदुर्गापाठे विनियोगः। ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसिदेवी भगवती हि सा।बलादाकृष्य मोहायमहामाया…

शिवानन्द लहरि

कलाभ्यां चूडालङ्कृत-शशि कलाभ्यां निज तपः-फलाभ्यां भक्तेशु प्रकटित-फलाभ्यां भवतु मे ।शिवाभ्यां-अस्तोक-त्रिभुवन शिवाभ्यां हृदि पुनर्-भवाभ्यां आनन्द स्फुर-दनुभवाभ्यां नतिरियम् ॥ 1 ॥ गलन्ती शम्भो त्वच्-चरित-सरितः किल्बिश-रजोदलन्ती धीकुल्या-सरणिशु पतन्ती विजयताम्दिशन्ती संसार-भ्रमण-परिताप-उपशमनंवसन्ती मच्-चेतो-हृदभुवि शिवानन्द-लहरी 2…

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