Category: ज्योतिष -शास्त्र से सम्बंधित अभी आलेख

मूल नक्षत्र में जन्म का फल

आद्ये पिता नाशमुपैति मूलपादे द्वितीये जननीं तृतीये।धनं चतुर्थस्य शुभोऽथ शान्त्यासर्वत्रसत्स्यादहिभे विलोमम्।। मूल नक्षत्र के प्रथम चरण में जन्म हो तो पिता का नाश होता है। द्वितीय चरण में माता को…

कर्मक्षेत्र एवं व्यापार को सुदृढ करें

प्रगतिशील एवं प्रतियोगिताओं से भरे माहौल में बहुत से लोग जानना चाहते हैं कि मेरे जीवन मे कौन सा व्यापार फलीभूत होगा या  मुझे प्राइवेट या सरकारी नौकरी करना चाहिए?…

जन्मकुंडली में इन ग्रहों के चाल से बनता है सन्यास योग

ज्योतिष के अंतर्गत जातक की जन्म कुंडली में कई प्रकार के योग होते हैं, जिनका उस पर प्रभाव पड़ता है ऐसा ही एक योग है प्रवज्या यानी संन्यास योग कुंडली…

अवसाद निवारण में ग्रहों की भूमिका

इस भाग-दौड़ भरी दुनिया में कोई ऐसा इंसान नही होगा। जिसे किसी तरह की कोई टेंशन न हुई हो। इन्हीं टेंशन के चलते कई लोग डिप्रेशन का शिकार हो जाते…

मिथुन राशि एक परिचय

मिथुन राशि के जातक सदैव अपने कार्यक्षेत्र  को प्राथमिकता देते हैं, इनकी बचपना अभावग्रस्त रहती है। जुड़ुवा के प्रतीक चिह्न वाले ये जातक आकर्षक और मैत्री स्वभाव के  होते हैं।…

चन्द्रमा का प्रभाव तथा उपाय

ऋग्वेद में कहा गया है कि ‘चन्द्रमा मनसो जातश्चक्षोः सूर्यो अजायत:।‘ वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है। ज्योतिषियों की माने तो चंद्रमा के प्रभाव से…

बहनें अपनी राशि अनुसार रक्षा सूत्र अपने भाई के हाथों में बांधे

लाल किताब के मत अनुसार जिस भी ग्रह को चौथे घर में भेजना होता है उसको हम हाथ में धारण करते हैं।चौथा भाव माता का होता है। माता के द्वारा…

मेष राशि (एक परिचय)

आद्यः स्मृतो मेष समान मूर्ति कालस्य मूर्धा गदितः पुराणैः।सोsजाविका संचर कन्दराद्रिस्--तेयाग्निधात्वाकररत्नभूमिः।।  मेष राशि का स्वामी मंगल होता है। मंगल ग्रह जीवन में पराक्रम और उत्साह का कारक होता है। मेष राशि…

फेंफड़े का रोग और ज्योतिष विज्ञान

जन्म कुंडली के पहले भाव से लेकर बारहवें भाव तक शरीर के विभिन्न अंगों को देखा जाता है और जिस अंग में पीड़ा होती है तो उस अंग से संबंधित…

ज्योतिष शास्त्र की उपयोगिता

वेदा हि यज्ञार्थमभिप्रवृत्ताः कालानुपूर्वा विहिताश्च यज्ञाः।तस्मादिदं कालविधानशास्त्रं यो ज्येतिषं वेद स वेद यज्ञान् ॥(आर्चज्यौतिषम् ३६, याजुषज्याेतिषम् ३) यथा शिखा मयूराणां नागानां मणयो यथा।तद्वद् वेदांगशास्त्राणां गणितं मूर्धनि स्थितम्॥(याजुषज्याेतिषम् ४) (अर्थ :…

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