Category: ज्ञानसंजीवनी

श्रीशीतला चालीसा

॥ दोहा॥जय जय माता शीतला, तुमहिं धरै जो ध्यान।होय विमल शीतल हृदय, विकसै बुद्धी बल ज्ञान।।घट -घट वासी शीतला, शीतल प्रभा तुम्हार।शीतल छइयां में झुलई, मइयां पलना डार।।॥ चौपाई ॥जय-जय-…

श्रीमहाकाली चालीसा

॥ दोहा॥मात श्री महाकालिका ध्याऊँ शीश नवाय।जान मोहि निजदास सब दीजै काज बनाय॥॥ चौपाई ॥नमो महा कालिका भवानी।महिमा अमित न जाय बखानी॥तुम्हारो यश तिहुँ लोकन छायो।सुर नर मुनिन सबन गुण…

श्री माँ अन्नपूर्णा चालीसा

॥ दोहा॥विश्वेश्वर पदपदम की रज निज शीश लगाय ।अन्नपूर्णे, तव सुयश बरनौं कवि मतिलाय ।॥ चौपाई ॥नित्य आनंद करिणी माता,वर अरु अभय भाव प्रख्याता।जय ! सौंदर्य सिंधु जग जननी,अखिल पाप…

श्रीसन्तोषी चालीसा

॥ दोहा॥श्री गणपति पद नाय सिर,धरि हिय शारदा ध्यान।संतोषी मां की करुँ,कीर्ति सकल बखान॥॥ चौपाई ॥जय संतोषी मां जग जननी,खल मति दुष्ट दैत्य दल हननी।गणपति देव तुम्हारे ताता,रिद्धि सिद्धि कहलावहं…

श्रीवैष्णो चालीसा

॥ दोहा॥गरुड़ वाहिनी वैष्णवी त्रिकुटा पर्वत धाम।काली, लक्ष्मी, सरस्वती, शक्ति तुम्हें प्रणाम।।॥ चौपाई ॥नमो: नमो: वैष्णो वरदानी,कलि काल मे शुभ कल्याणी।मणि पर्वत पर ज्योति तुम्हारी,पिंडी रूप में हो अवतारी॥देवी देवता…

श्रीतुलसी माता की आरती

जय जय तुलसी माता,सब जग की सुखदाता ।॥ जय जय तुलसी माता।|सब योगों के ऊपर,सब लोगों के ऊपर,रुज से रक्षा करके भव त्राता।॥ जय जय तुलसी माता।|बटु पुत्री है श्यामा,सूर…

श्रीराधा चालीसा

॥ दोहा॥श्री राधे वुषभानुजा भक्तनि प्राणाधार।वृन्दावन विपिन विहारिणी प्रणवों बारम्बार।।जैसो तैसो रावरौ कृष्ण प्रिया सुखधाम।चरण शरण निज दीजिये सुन्दर सुखद ललाम।।॥ चौपाई ॥जय वृषभानु कुँवरी श्री श्यामा।कीरति नंदिनी शोभा धामा।।नित्य…

श्रीसरस्वती चालीसा

॥ दोहा॥जनक जननि पद्मरज, निज मस्तक पर धरि। बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि॥पूर्ण जगत में व्याप्त तव, महिमा अमित अनंतु।दुष्टजनों के पाप को,मातु तु ही अब हन्तु॥।।चौपाई।।जय श्री सकल बुद्धि…

श्रीकाली चालीसा

॥ दोहा॥जयकाली कलिमलहरण,महिमा अगम अपार।महिष मर्दिनी कालिका,देहु अभय अपार॥॥ चौपाई ॥अरि मद मान मिटावन हारी।मुण्डमाल गल सोहत प्यारी॥अष्टभुजी सुखदायक माता।दुष्टदलन जग में विख्याता॥भाल विशाल मुकुट छवि छाजै।कर में शीश शत्रु…

श्रीपार्वती चालीसा

॥ दोहा॥जय गिरी तनये दक्षजे शम्भू प्रिये गुणखानि।गणपति जननी पार्वती अम्बे!शक्ति! भवानि॥॥ चौपाई॥ब्रह्मा भेद न तुम्हरे पावे,पंच बदन नित तुमको ध्यावे।षड्मुख कहि न सकत यश तेरो,सहसबदन श्रम करत घनेरो।।तेरो पार…

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