श्रीमद्भगवद्गीता -अध्याय ३
कर्म योग(कर्म-योग और ज्ञान-योग का भेद) अर्जुन उवाचज्यायसी चेत्कर्मणस्ते मता बुद्धिर्जनार्दन।तत्किं कर्मणि घोरे मां नियोजयसि केशव॥ (१)भावार्थ : अर्जुन ने कहा – हे जनार्दन! हे केशव! यदि आप निष्काम-कर्म मार्ग…
कर्म योग(कर्म-योग और ज्ञान-योग का भेद) अर्जुन उवाचज्यायसी चेत्कर्मणस्ते मता बुद्धिर्जनार्दन।तत्किं कर्मणि घोरे मां नियोजयसि केशव॥ (१)भावार्थ : अर्जुन ने कहा – हे जनार्दन! हे केशव! यदि आप निष्काम-कर्म मार्ग…
ॐ स्थिरः स्थाणुः प्रभुर्भीमः प्रवरो वरदो वरः ।सर्वात्मा सर्वविख्यातः सर्वः सर्वकरो भवः ॥ १॥जटी चर्मी शिखण्डी च सर्वांगः सर्वभावनः ।हरश्च हरिणाक्षश्च सर्वभूतहरः प्रभुः ॥ २॥प्रवृत्तिश्च निवृत्तिश्च नियतः शाश्वतो ध्रुवः ।श्मशानवासी…
त्वत्तीरे मणिकर्णिके हरिहरौ सायुज्यमुक्तिप्रदौवादं तौ कुरुत: परस्परमुभौ जन्तौ: प्रयाणोत्सवे।मद्रूपो मनुजोSयमस्तु हरिणा प्रोक्त: शवस्तत्क्षणात्तन्मध्याद् भृगुलाण्छनो गरुडग: पीताम्बरो निर्गत:।।१।। हे मणिकर्णिके! आप के तट पर भगवान विष्णु और शिव सायुज्य मुक्ति प्रदान…
एक युवक ने विवाह के बाद दो साल बाद परदेस जाकर व्यापार की इच्छा पिता से कही, पिता ने स्वीकृति दी तो वह अपनी गर्भवती को माँ-बाप के जिम्मे छोड़कर…
‘देवस्य त्वा सवितुः प्रसवेश्विनोर्बाहुभ्यां पूष्णो हस्ताभ्याम् । अग्नये जुष्टं गृह्णाम्यग्नीषोमा जुष्टं गृह्णामि ।।’‘भूताय त्वा नारातये स्वरभिविख्येषं दृं हन्तां दुर्याः पृथिव्यामुर्वन्तरिक्षमन्वेमि । पृथिव्यास्त्वा नाभौ सादयाम्यदित्याऽ उपस्थेग्ने हव्यं रक्ष ।।’ (शुक्लयजुर्वेदः –…
चैत्र नवरात्रि का पर्व भारत में हिन्दुओं के द्वारा मनाया जाने वाला प्रमुख पर्व है। चैत्र नवरात्रि सभी चारों नवरात्रों में विशेष महत्व रखता है। आमतौर पर साल में चार…
मोक्ष सन्यास योग-त्याग का विषय अर्जुन उवाचसन्न्यासस्य महाबाहो तत्त्वमिच्छामि वेदितुम् ।त्यागस्य च हृषीकेश पृथक्केशिनिषूदन ॥ भावार्थ : अर्जुन बोले- हे महाबाहो! हे अन्तर्यामिन्! हे वासुदेव! मैं संन्यास और त्याग के…
वैदिक ज्योतिष के अनुसार ग्रहों का गोचर व्यक्ति के जीवन पर काफी प्रभाव डालता है। नक्षत्र मंडल में राशियों के मध्य विचरण करने वाले ग्रह ऐसे में जब अप्रैल के…
दशामाता का व्रत चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि के दिन किया जाता है। इस वर्ष यह पर्व दिनांक: 6 अप्रैल 2021 दिन मंगलवार को है।दशा माता का…
पुरुषोत्तम-योगसंसार रूपी वृक्ष का वर्णन श्रीभगवानुवाचऊर्ध्वमूलमधः शाखमश्वत्थं प्राहुरव्ययम् ।छन्दांसि यस्य पर्णानि यस्तं वेद स वेदवित् ॥१ भावार्थ : श्री भगवान ने कहा – हे अर्जुन! इस संसार को अविनाशी वृक्ष…