Category: उपनिषद से सम्बंधित आलेख

आत्मज्ञान का रहस्य

एक बार एक नवयुवक एक ब्रह्मज्ञानी महात्मा के पास गया और बोला – “ मुनिवर ! मुझे आत्मज्ञान का रहस्य बता दीजिये, जिससे मैं आत्मा के स्वरूप को जानकर कृतार्थ…

वास्तविक त्याग

त्याग और सन्यास का सामान्यतः यही अर्थ लिया जाता है कि घर छोड़कर,शादी न करके और कर्म का त्याग करके त्यागी या सन्यासी हो जायेंगें।घर छोड़कर कहाँ जाओगे,जहाँ जाओगे क्या…

केनोपनिषद्

ॐ आप्यायन्तु ममाङ्गानि वाक्प्राणश्चक्षुःश्रोत्रमथो बलमिन्द्रियाणि च सर्वाणि ।सर्वं ब्रह्मौपनिषदंमाऽहं ब्रह्म निराकुर्यां मा मा ब्रह्मनिराकरोदनिराकरणमस्त्वनिराकरणं मेऽस्तु ।तदात्मनि निरते यउपनिषत्सु धर्मास्ते मयि सन्तु ते मयि सन्तु ।ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥॥ अथ…

अथ माण्डुक्योपनिषत्

ॐ इत्येतदक्षरमिदꣳ सर्वं तस्योपव्याख्यानंभूतं भवद् भविष्यदिति सर्वमोङ्कार एवयच्चान्यत् त्रिकालातीतं तदप्योङ्कार एव ॥ १॥सर्वं ह्येतद् ब्रह्मायमात्मा ब्रह्म सोऽयमात्मा चतुष्पात् ॥ २॥जागरितस्थानो बहिष्प्रज्ञः सप्ताङ्ग एकोनविंशतिमुखः स्थूलभुग्वैश्वानरः प्रथमः पादः ॥ ३॥स्वप्नस्थानोऽन्तः प्रज्ञाः सप्ताङ्ग…

ईशावास्योपनिषद्

ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते।पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते॥ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥ॐ ई॒शा वा॒स्य॑मि॒द सर्वं॒ यत्किं च॒ जग॑त्यां॒ जग॑त् ।तेन॑ त्य॒क्तेन॑ भुञ्जीथा॒ मा गृ॑धः॒ कस्य॑ स्वि॒द्धन॑म् ॥१॥कु॒र्वन्ने॒वेह कर्मा॑णि जिजीवि॒षेच्छ॒त समाः॑ ।ए॒वं त्वयि॒…

केनोपनिषद्- खण्ड १

विद्वानों ने उपनिषद शब्द की व्युत्पत्ति  उप+नि+षद् के रूप में मानी है। इसका अर्थ है कि जो ज्ञान व्यवधान रहित होकर निकट आये, जो ज्ञान विशिष्ट तथा संपूर्ण हो तथा…

श्री कृष्ण के बारे में कुछ जानकारियां

श्री कृष्ण को पूर्णावतार कहा गया है। श्री कृष्ण के जीवन में वह सब कुछ है जिसकी मानव को आवश्यकता होती है। श्री कृष्ण गुरु हैं, तो शिष्य भी। आदर्श…

सच्ची विद्या (अध्यात्म विद्या विद्यानाम)

छान्दोग्य उपनिषद की कहानी है- ऋषि आरुणि का पुत्र श्वेतकेतु गुरुकुल से शिक्षा ग्रहण करके जब लौटा, तब उसके पिता को अनुभूति हुई कि पुत्र में कुछ अहंकार पैदा हो…

श्रेय एवम् प्रेय का भेद – साधना का एक महत्वपूर्ण सूत्र (अभिषेक तिवारी)

कठोपनिषद अध्याय १, बल्ली २, मंत्र १ और २ : अन्यच्छ्रेयोऽन्यदुतैव प्रेयस्ते उभे नानार्थे पुरुषंसिनीतः ।तयोः श्रेय आददानस्य साधु भवति हीयतेऽर्थाद्य उ प्रेयो वृणीते ।।(कठोपनिषद्, अध्याय १, बल्ली २, मंत्र…

दशावतार-कथा एवं सृष्टि के विकास-क्रम की कहानी

दसवाँ अवतार कल्कि नाम से शस्त्रधारी मानव-रूप में होगा। यही है दशावतार का क्रम। इसमें सृष्टि का क्रमिक विकास छिपा हुआ है। विज्ञान की दृष्टि से भी इसका महत्त्व है।…

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