Category: आचार्य अभिजीत

वाणिज्य पर वैदिक दृष्टिकोण

वेदोनित्यमधीयतां तदुदितं कर्मस्वनुष्ठीयतां, वेद में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष, चार प्रकार के पुरुषार्थ कहे गए हैं,ये चारों मानव जीवन के संतुलन गतिविधयों के लिए बनाया गया है ,जिसमें सर्वप्रथम…

गुरु पूर्णिमा महोत्सव

ब्रह्मानंदं परमसुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिं द्वंद्वातीतं गगनसदृशं तत्त्वमस्यादिलक्ष्यम् |एकं नित्यं विमलमचलं सर्वधीसाक्षिभूतं भावातीतं त्रिगुणरहितं सद्गुरुं तं नमामि || आषाढ़ मास के पूर्णिमा को सनातन परंपरा में गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा (कृष्ण द्वैपायन…

ज्योतिष शास्त्र की उपयोगिता

वेदा हि यज्ञार्थमभिप्रवृत्ताः कालानुपूर्वा विहिताश्च यज्ञाः।तस्मादिदं कालविधानशास्त्रं यो ज्येतिषं वेद स वेद यज्ञान् ॥(आर्चज्यौतिषम् ३६, याजुषज्याेतिषम् ३) यथा शिखा मयूराणां नागानां मणयो यथा।तद्वद् वेदांगशास्त्राणां गणितं मूर्धनि स्थितम्॥(याजुषज्याेतिषम् ४) (अर्थ :…

भारतीय संस्कृति एवम् वेद

वेदोsखिलोधर्ममूलं वेद एक ऐसा अपौरुषेय ग्रंथ है जिसमें अनंत काल से चल रही इस सृष्टि को ज्ञान, कर्म, संस्कार इत्यादि जीवनोपयोगी, मोक्षोपयोगी, विषयों का विस्तृत वर्णन किया गया है। इस…

आदित्य हृदय स्तोत्र

आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ नियमित करने से अप्रत्याशित लाभ मिलता है। आदित्य हृदय स्तोत्र के पाठ से नौकरी में पदोन्नति, धन प्राप्ति, प्रसन्नता, आत्मविश्वास के साथ-साथ समस्त कार्यों में…

error: Content is protected !!