2 सितम्बर से पितृ पक्ष शुरू हो रहा है। यह पक्ष 15 दिनों का होता है। जो कि भाद्रपद की पूर्णिमा से शुरू होता है और अश्विन की अमावस्या को समाप्त होता है। एस्ट्रॉलजर कहते हैं कि अगर कोई व्यक्ति पितृ दोष से पीड़ित हो तो उसे पितृ पक्ष के दौरान यहां बताए गये उपायों को अपनाना चाहिए। मान्यता है कि ये उपाय जातक के जीवन से पितृ दोष दूर कर देते हैं। तो आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं कि आखिर किन लोगों के जीवन में होता है पितृ दोष और क्या है इसके निवारण का उपाय?
बता दें कि पितृ दोष को बहुत अशुभ प्रभाव देने वाला माना जाता है। जो भी जातक जीवित अवस्था में अपने माता पिता का अनादर करते है अथवा पिता की मृत्यु के पश्चात जो संतान अपने पिता का श्राद्ध नहीं करता हैं या सर्प हत्या या किसी निरपराध की हत्या करता है तो अगले जन्म में उसकी कुण्डली में पितृदोष लग जाता है। ऐसे में जातक के जीवन में संतान संबंधी, कोर्ट-कचेहरी, पारिवारिक जीवन में कलह और मानसिक शांति बनी ही रहती है। साथ ही अपनों से भी धोखा मिलता है।
अगर पितृ पक्ष में ये उपाय कर लिए जाएं तो मिलता है उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है!
पितृ दोष दूर करने के लिए प्रत्येक अमावस्या को गाय को पांच फल खिलाने चाहिए।इसके अलावा बबूल के पेड़ पर संध्या के समय भोजन रखने से भी पित्तर प्रसन्न होते है। इसलिए नियमित रूप से हर अमावस्या पर यह उपाय जरूर करना चाहिए। साथ ही एक ब्राह्मण को भोजन कराने व दक्षिणा-वस्त्र भी भेंट करने चाहिए। ऐसा करने से भी पितृ दोष कम होता है।
पितृ दोष से राहत पाने के लिए अपने ज्ञात-अज्ञात और पूर्वजों के प्रति ईश्वर उपासना के बाद नियमित कृतज्ञता का भाव रखना चाहिए। इसके अलावा उनसे जाने-अनजाने में की गयी भूलों की क्षमा मांगें। ऐसा करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष दूर होते हैं।
पितृ दोष दूर करने के लिए जातक को प्रतिदिन शिवलिंग पर जल चढ़ाकर महामृत्युंजय का जाप करना चाहिए। इसके अलावा देवी काली की नियमित उपासना करें। मां की कृपा से पितृ दोष दूर हो जाता है। भोजन बनने पर सर्वप्रथम पितरों के नाम के खाने की थाली निकालकर गाय को खिलाने से उस घर पर पित्तरों का सदैव आशीर्वाद रहता है। घर के मुखिया को भी चाहिए कि वह भी अपनी थाली से पहला ग्रास पितरों को नमन करते हुये कौओं के लिये अलग निकालकर उसे खिला दें।