श्रावणी उपाकर्म
श्रावणी उपाकर्म के तीन पक्ष है :– प्रायश्चित्त संकल्प, संस्कार और स्वाध्याय। प्रायश्चित्त संकल्प : इसमें हेमाद्रि स्नान संकल्प। गुरु के सान्निध्य में ब्रह्मचारी गोदुग्ध, दही, घृत, गोबर और गोमूत्र…
श्रावणी उपाकर्म के तीन पक्ष है :– प्रायश्चित्त संकल्प, संस्कार और स्वाध्याय। प्रायश्चित्त संकल्प : इसमें हेमाद्रि स्नान संकल्प। गुरु के सान्निध्य में ब्रह्मचारी गोदुग्ध, दही, घृत, गोबर और गोमूत्र…
मोक्ष की राह आसान करता है यह व्रत आज यानी 19 अगस्त को श्रद्धालु दामोदर द्वादशी का व्रत करेंगे। भारतीय धर्म ग्रंथों के अनुसार दामोदर द्वादशी का व्रत भगवान विष्णु…
सनातन धर्म की विशेषता है कि हर दिन ही व्रत के साथ जीना है इस मानव तन में। चाहें तन से व्रत कीजिए या मन से,पर अपने आपको संतुलन में…
अस्मदीयं राष्ट्रं भारतं सप्तचत्वारिंशदुत्तरनवदशतमाब्दस्य अगस्तमासस्य पञ्चदशके दिनाङ्के स्वातन्त्र्यमलभत।स्वतन्त्रताप्राप्त्यर्थं नैके राष्ट्रैसेवाव्रतिनो भारतीसपुत्रा नैजान् प्राणान् अत्यजन्।तेषां राष्ट्राय हुतात्मनां त्यागशौर्यबलिदानादिकं नितरां स्मृतिपटले सदास्मदीयहृच्चेतनासु “इदं राष्ट्राय इदं न मम”इति श्रुतिवचनं स्मारयेत्तथा राष्ट्राय समर्पणभावं जागरयेदित्यादिकं…
एक वैश्य ने लाखों-करोड़ों रुपये कमाए और अपने धन में से चार-चार लाख रुपये अपने पुत्रों को देकर, उनकी अलग-अलग दुकाने करवा दीं । शेष धन उसने दीवारों में चुनवा…
ऊँ नमोस्तु सर्पेभ्यो ये के च पृथिवीमनु ये अन्तरिक्षे ये दिवि तेभ्यः सर्पेभ्यो नम। (शु०य०वे) सनातन धर्म में प्रकृति पूजा की शास्त्र सम्मत परंपराएं अलग अलग मास के अलग अलग मुहूर्त…
अपारसंसार समुद्रमध्ये सम्मज्जतो मे शरणं किमस्ति।गुरो कृपालो कृपया वदैतद्विश्वेशपादाम्बुजदीर्घनौका। १ । प्र: हे दयामय गुरुदेव ! कृपा करके यह बताइये कि अपार संसार रुपी समुद्र में मुझ डूबते हुए का…
अगस्तिरुवाच-अतः परं भरतस्य कवचं ते वदाम्यहम् ।सर्वपापहरं पुण्यं सदा श्रीरामभक्तिदम् ॥ १॥ कैकेयीतनयं सदा रघुवरन्यस्तेक्षणं श्यामलंसप्तद्वीपपतेर्विदेहतनयाकान्तस्य वाक्ये रतम् ।श्रीसीताधवसव्यपार्श्वनिकटे स्थित्वा वरं चामरंधृत्वा दक्षिणसत्करेण भरतं तं वीजयन्तं भजे ॥ २॥ ॐ…
॥ प्रथमः सर्गः॥ ॥ राम हृदयम्॥ यः पृथिवीभरवारणाय दिविजैः सम्प्रार्थितश्चिन्मयःसञ्जातः पृथिवीतले रविकुले मायामनुष्योऽव्ययः ।निश्चक्रं हतराक्षसः पुनरगाद् ब्रह्मत्वमाद्यं स्थिरांकीर्तिं पापहरां विधाय जगतां तं जानकीशं भजे ॥ १॥ विश्वोद्भवस्थितिलयादिषु हेतुमेकंमायाश्रयं विगतमायमचिन्त्यमूर्तिम् ।आनन्दसान्द्रममलं…
जो व्रत गृहस्थादि सभी आश्रमों को सुख प्रदान करने वाला हो, उस शिवरात्रि व्रत का माहात्म्य आपको अनेकों ग्रंथों का खोज पश्चात हम ज्ञान ज्ञान संजीवनी डिजिटल पत्रिका द्वारा सुलभता…