Author: ज्ञानसंजीवनी फाउंडेशन

॥अथ आमला एकादशी माहात्म्य ॥

मान्धाता जी बोले – हे वशिष्ठजी! यदि आप मुझ पर प्रसन्न है तो व्रत की कथा कहो जिससे मेरा कल्याण हो।वशिष्ठ जी बोले – हे राजन! सब व्रतों से उत्तम…

अंगारकी संकष्ठी चतुर्थी

हर माह में दो चतुर्थी पड़ती हैं. दोनों चतुर्थी भगवान गणेश चतुर्थी (विनायक चतुर्थी) और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है. फाल्गुन के महीने की कृष्ण…

॥अथ विजय एकादशी माहात्मय ॥

धर्मराज युधिष्ठिर बोले कि – हे राजन जनार्दन! फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी का क्या नाम है ?तथा उसकी विधि क्या है ?सो सब कहिए ।श्री कृष्ण भगवान…

॥ रावण रचित शिव तांडव स्तोत्र।।

जटाटवीग लज्जलप्रवाहपावितस्थलेगलेऽवलम्ब्यलम्बितां भुजंगतुंगमालिकाम्‌। डमड्डमड्डमड्डम न्निनादवड्डमर्वयंचकार चंडतांडवं तनोतु नः शिवः शिवम ॥1॥ सघन जटामंडल रूप वन से प्रवाहित होकर श्री गंगाजी की धाराएँ जिन शिवजी के पवित्र कंठ प्रदेश को प्रक्षालित…

।।अथ जया एकादशी महात्म्य ।।

वैदिक पंचांग के अनुसार, माघ मास की शुक्ल एकादशी को जया एकादशी कहा जाता है। धर्मराज युधिष्ठिर बोले- हे भगवान! आपने 7 माघ माह की कृष्ण पक्ष की षटतिला एकादशी…

शहीद चन्द्रशेखर ‘आजाद’

ऐतिहासिक दृष्टि से भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के स्वतंत्रता सेनानी थे। वे शहीद राम प्रसाद बिस्मिल व शहीद भगत सिंह सरीखे क्रान्तिकारियों के अनन्यतम साथियों में से एक थे।सन् १९२२ में…

यज्ञोपवित (जनेऊ ) पहनने से लाभ

पूर्व में बालक की उम्र आठ वर्ष होते ही उसका यज्ञोपवित संस्कार कर दिया जाता था। वर्तमान में यह प्रथा लोप सी गयी है। जनेऊ पहनने का हमारे स्वास्थ्य से…

श्रीरामअवतार स्तुति

छंद:भए प्रगट कृपाला दीनदयाला,कौसल्या हितकारी ।हरषित महतारी, मुनि मन हारी,अद्भुत रूप बिचारी ॥ लोचन अभिरामा, तनु घनस्यामा,निज आयुध भुजचारी ।भूषन बनमाला, नयन बिसाला,सोभासिंधु खरारी ॥ कह दुइ कर जोरी, अस्तुति…

श्रीरामायण जी की आरती

आरति श्रीरामायनजी की। कीरति कलित ललित सिय पी की।।गावत ब्रह्मादिक मुनि नारद। बालमीक बिग्यान बिसारद।सुक सनकादि सेष अरु सारद। बरनि पवनसुत कीरति नीकी।।1।। गावत बेद पुरान अष्टदस। छओ सास्त्र सब…

श्री रामचरितमानस षष्ठ सोपान – लंकाकाण्ड

श्लोकरामं कामारिसेव्यं भवभयहरणं कालमत्तेभसिंहंयोगीन्द्रं ज्ञानगम्यं गुणनिधिमजितं निर्गुणं निर्विकारम्।मायातीतं सुरेशं खलवधनिरतं ब्रह्मवृन्दैकदेवंवन्दे कन्दावदातं सरसिजनयनं देवमुर्वीशरूपम्।।1।।शंखेन्द्वाभमतीवसुन्दरतनुं शार्दूलचर्माम्बरंकालव्यालकरालभूषणधरं गंगाशशांकप्रियम्।काशीशं कलिकल्मषौघशमनं कल्याणकल्पद्रुमंनौमीड्यं गिरिजापतिं गुणनिधिं कन्दर्पहं शङ्करम्।।2।।यो ददाति सतां शम्भुः कैवल्यमपि दुर्लभम्।खलानां दण्डकृद्योऽसौ शङ्करः शं…

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