आद्यः स्मृतो मेष समान मूर्ति
कालस्य मूर्धा गदितः पुराणैः।
सोsजाविका संचर कन्दराद्रिस्-
-तेयाग्निधात्वाकररत्नभूमिः।।
मेष राशि का स्वामी मंगल होता है। मंगल ग्रह जीवन में पराक्रम और उत्साह का कारक होता है। मेष राशि में जन्म लेने वाला जातक सुंदर, आकर्षक और कलात्मक होता है। मेष राशि के लोग स्वतंत्र विचार वाले होते हैं, सही और गलत को लेकर इनका अपना दृष्टिकोण होता है। इन लोगों की नेतृत्व क्षमता बहुत अच्छी होती है और ये लोग जीवन में स्वयं अपना रास्ता तय करते हैं। मेष राशि के जातक स्वभाव बर्हिमुखी और कुछ कहने की बजाय करने वाले होते हैं। हालांकि इन तमाम खूबियों के बावजूद क्रोध और आक्रामकता की वजह से ये लोग अपना धैर्य खो बैठते हैं।
मेष लग्न राशि चर राशि एवं अग्नि तत्व के रुप में जाना जाता है। इसलिए मेष लग्न के जातक सदा चलायमान एवं उत्तेजित रहते हैं।कभी भी एक स्थान पर टिककर बैठ नहीं सकते हैं। इस राशि का रंग लाल माना जाता है तभी इनमें अत्यधिक तीव्रता होती है। यह र अत्यधिक ऊर्जावान माना जाता है और सदा जोश व चुस्ती भरा होता है।
मेष लग्न में शनि, बुध, शुक्र पापफलप्रद हैं। गुरु ,सूर्य ,शुभ है । शनि और गुरु के योग कारक मात्र से शुभ फल नहीं हो सकता क्योंकि (शनि के लाभेश होने ) गुरु के व्ययेश होने से भी पाप ग्रह हो गया है। शुक्र साक्षात मारक है 2,7 का स्वामी होने से शनि आदि भी (मारक के संबंध से) मारने वाले होते हैं। मेष लग्न वालों का यह शुभाशुभ ग्रह कहे गए हैं।वैदिक ज्योतिष में जब हम काल पुरुष की कुंडली का व्याख्यान करते हैं तो पहले भाव में 1 आता है जो मेष लग्न को दर्शाता है। मेष राशि चक्र की पहली राशि है। काल पुरुष की कुंडली का पहला खाना या प्रथम भाव कहे तो अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस लग्न में जन्मे जातक इंजिनियर, डाॅक्टर, सैनिक एवं राजनीतिज्ञ होते हैं। इनका भाग्योदय 6, 22, 28, 32 एवं 36वें वर्ष में होता है। ऐसे जातक यदि सिंह, तुला अथवा धनु लग्न वाले स्त्री अथवा पुरुषों से प्रेम व मित्रता पूर्ण सम्बन्ध रखें तो जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं। जोखिम के कार्य करने में ये प्रसन्न रहते हैं। ज्ञान, विज्ञान, कला एवं काव्य में ऐसे जातक विशेष रुचि रखते हैं।मेष लग्न के जातक शारीरिक रूप से कुछ गोलाई लिए हुए होते हैं।
त्वचा की रंगत में थोड़ी लालिमा या नेत्रों में चमक होती है। अधिकांशतः देखा गया है कि मेष लग्न में जन्मे जातक अपनी उम्र से कम नज़र आते हैं। मेष लग्न के जातक स्वभाव से दबंग, उग्र परन्तु शीघ्र ही दूसरों पर प्रसन्न हो जाते हैं।प्रकृति से भ्रमण शील परन्तु घुटनों से रोग ग्रस्त होते हैं। मेष लग्न के जातक यदा कदा अपने क्रोधी एवं चंचल स्वभाव का अनावश्यक प्रदर्शन भी करते हैं तथा उदार स्वभाव भी दिखलाते हैं। दूसरों की समय और आवश्यकता अनुसार मदद करने के कारण औरों के लिए आदरणीय भी होते हैं।
मंदः सौम्यसिताः पापा: शुभौ गुरु दिवाकरौ।
न शुभयोग मात्रेण प्रभवेच्छनि जीवयो:।।
परतंत्रेण जीवस्य पापकर्मापि निश्चितम्।
कवि: साक्षान्निहंता स्यान्मारकत्वेन लक्षितः।।
मंदादयो निहंतारो भवेयु:पापिनो ग्रहा:।
शुभाशुभ फलान्येवं ज्ञातव्यानि क्रियोद्भवै:।।
( बृ०पा०हो०शा०)