स्वामी विवेकानंद

त्याग और सन्यास का सामान्यतः यही अर्थ लिया जाता है कि घर छोड़कर,शादी न करके और कर्म का त्याग करके त्यागी या सन्यासी हो जायेंगें।
घर छोड़कर कहाँ जाओगे,जहाँ जाओगे क्या वह इस संसार का भाग नहीं है ? त्याग की वास्तविक परीक्षा तो तब होगी जब अपना कहनेवाले भी रहें और आप फिर भी अंदर से अनासक्त होकर रहें और आपके सारे निर्णय अनासक्ति में रहकर हों, न्याययुक्त हों और आपको मोह छुए तक नहीं।
त्याग कोई बाहरी परिस्थिति नहीं है – त्याग और सन्यास तो सम्पूर्ण कर्तव्यकर्मों को यथा योग्य शास्त्रानुसार सम्पादित करते हुए भीतर से कर्मफल की इच्छा से रहित होने का नाम है और यही सन्यास है ।


अनाश्रितः कर्मफलं कार्यं कर्म करोति यः।।
स संन्यासी च योगी च न निरग्निर्न चाक्रियः।।
(श्रीमद्भगवद्गीता ६.१)
कर्मफलका आश्रय न लेकर जो कर्तव्यकर्म करता है वही संन्यासी तथा योगी है और केवल अग्निका त्याग करनेवाला संन्यासी नहीं होता तथा केवल क्रियाओंका त्याग करनेवाला योगी नहीं होता।



त्यागी शोभा जगत में करता है सब कोय।
हरिया गृहस्थी संत का भेदी बिरला होय।।



हम समझते हैं कि बिना सन्यास आश्रम ग्रहण किये मुक्ति नहीं होगी इसीलिए मुक्ति नहीं होती है,सन्यास आश्रम में भी मुक्ति होती है परन्तु केवल उसमें ही होती है ऐसा नहीं है। मुक्ति क्या कोई सामान है जो बाहर जाने के बाद ही मिलेगा।
मुक्ति साधन संपन्न होने से अधिक से अधिक शास्त्र आज्ञा पालन करने से,नीति, धर्म,न्याय का पालन निष्काम भाव से करने ,ईश्वरभक्ति करने, अधिक से अधिक निष्कामता बढाने से मिलती है।

मुक्ति के लिए राग द्वेष से रहित होना पड़ेगा,विषयों का त्याग करना होगा। बाहर चले जाएं, वस्त्र बदल लेने से मुक्ति नहीं मिलती है। परन्तु इसका यह अर्थ नहीं है कि घर आदि के काम करनेवाले हर मनुष्य की मुक्ति ही हो जाएगी।

गृहस्थ में गृहस्थ का पालन संसार से वैराग्य प्राप्त हो जाये इस उद्देश्य से किया जाए तब ही गृहस्थ है वह,अन्यथा सांसारिक मनुष्य व पशु के कर्म में कोई अंतर नहीं।


त्यक्त्वा कर्मफलासङ्गं नित्यतृप्तो निराश्रयः।
कर्मण्यभिप्रवृत्तोऽपि नैव किंचित्करोति सः॥
(श्रीमद्भगवद्गीता ४.२०)
-जो पुरुष समस्त कर्मों में और उनके फल में आसक्ति का सर्वथा त्याग करके संसार के आश्रय से रहित हो गया है और परमात्मा में नित्य तृप्त है, वह कर्मों में भलीभाँति बर्तता हुआ भी वास्तव में कुछ भी नहीं करता ।।

error: Content is protected !!