ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनिश्चराय नम:
सूर्य पुत्रो दीर्घ देहो विशालाक्ष: शिव प्रिय:।
मंदाचाराह प्रसन्नात्मा पीड़ां दहतु में शनि:।।
शनिदेव अत्यंत विशिष्ट देव हैं। वे ग्रह भी है और देवता भी उनका प्रताप ऐसा है कि वे राजा को रंक और रंक को राजा बना देते हैं। ज्योतिष में बताया गया है कि जब शनि राशि बदलते हैं तब राशियों की दशा, महादशा, साढ़ेसाती और ढैय्या शुरू हो जाती है। जिसके प्रभाव से लोगों की जिंदगी में परिवर्तन होने लगते हैं, परेशानियां आती हैं। नौकरी और व्यापार में समस्या उत्पन्न होने लगती है। खर्चे बेतहाशा बढ़ जाते हैं। तो आइए जानते है कि इस अवस्था मे क्या उपाय करना चाहिए-
“ॐ शं शनैश्चराय नमः”, “ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः”, “ॐ शन्नो देविरविष्ठय आपो भवन्तु पीतये।
सय्योंरभिस्रवन्तुनः। इस मंत्र को प्रत्येक शनिवार के दिन 108 बार विधिवत जपने से लाभ प्राप्त होता है।
कुंडली में शनि के शुभ स्थान पर होने पर वे व्यक्ति को अपार संपत्ति और मान-सम्मान की प्राप्ति करवाते हैं। वहीं अशुभ स्थान पर भारी नुकसान पहुंचाते हैं। कहते हैं कि शनि शुभ हों तो व्यक्ति का मकान बनवा देते हैं, लेकिन अशुभ हों तो मकान तक बिकवा देते हैं। आइए जानते हैं शनिदेव के उन महाउपायों को जिन्हें करने व्यक्ति शनि के दोष से मुक्त होता है और उसके सारे कार्य बनने लगते हैं —
शनिदेव की वक्रदृष्टि से बचने के लिए हर शनिवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करें।
शनिवार के दिन हनुमान जी का मंत्र श्रीहनुमते नम: सुबह उठकर स्नानादि करके इस मंत्र का जाप करें।
शनिवार या मंगलवार के दिन हनुमान जी को चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर चढ़ाए, इससे हनुमान जी के साथ शनिदेव की कृपा भी प्राप्त होती है।
अगर आप शनि दोष से पीड़ित हैं तो हनुमान जी को केले का भोग लगाएं। यह कार्य आपको नियमित रूप से दस शनिवार तक करना है।