ज्ञानसंजीवनी
कजरी तीज भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की तृतीया को यह पर्व मनाया जाता है यह पर्व विशेषता उत्तर भारत में मनाया जाता है।
बूढ़ी तीजभाद्रपद की कृष्ण पक्ष की तृतीया,पर्व गायों के पूजा के लिए होता है गाय की पूजा करने के बाद ही भोजन ग्रहण करते हैं।
बहुला चौथयह व्रत भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को किया जाता है यह व्रत माताएं अपने पुत्र की रक्षा के लिए करती हैं।
इस दिन गाय का दूध उसके बछड़े के लिए छोड़ दिया जाता है।
गूगा पंचमीयह भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है इसमें नाग देवता की पूजा की जाती है।
हलषष्ठी या हर छठ, हलषष्ठी या हर छठ के नाम से भाद्र पक्ष कृष्ण पक्ष को श्री कृष्ण बड़े भाई बलराम जी का जन्म हुआ था और कुछ लोग इसी दिन सीता माता का जन्म दिवस भी मनाते हैं। बलराम जी का प्रधान शास्त्र हल है इसलिए उन्हें हलधर भी कहते हैं उन्हीं के नाम पर यह पर्व हलषष्ठी पड़ा।
चंद्र छठहलषष्ठी या चंद्र छठी मनाई जाती है जिसमें कुंवारी कन्या व्रत रखती है।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी श्री कृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जन्माष्टमी मनाई जाती है।
श्री गोगा नवमी भाद्र माह की कृष्ण पक्ष की नवमी को श्री गोगा जी की पूजा की जाती है और इस दिन खीर- पुडे(मीठे चीले) का भोग लगाया जाता है साथ में मिठाई घर में आपस में भी बांटी जाती हैं। कई जगह इस दिन मेला लगता है और नाग देवता की पूजा भी की जाती है
अजा या प्रबोधिनी एकादशी भाद्रपद कृष्ण पक्ष की एकादशी प्रबोधिनी जया, कामिनी तथा अजा नाम से विख्यात है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
बछ बारस बछ बारस : भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की द्वादशी बछ बारस के रूप में मनाई जाती है।
इस दिन से कृष्ण भगवान पहली बार जंगल में गाय बछड़े चराने हेतु गए थे
वत्स द्वादशी: भाद्रपद कृष्ण पक्ष की द्वादशी को वत्स द्वादशी के रूप में मनाते हैं। व्रत पुत्र कामना के लिए किया जाता है।
कुशोत्पाटनी अमावस्याभाद्रपद कृष्ण पक्ष को जो अमावस्या आती है उसे वर्ष भर प्रयोग करने के लिए कुशा नामक घास उखाड़ कर घर लाई जाती है
हरतालिका तीजयह तीज भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है। सुहागन स्त्रियां शंकर पार्वती की पूजा करती है और व्रत को करने वाली स्त्रियां पार्वती के समान सुख पूर्वक पति रमन करके शिवलोक को जाती हैं
गणेश चतुर्थीभाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी गणेश चतुर्थी के नाम से प्रसिद्ध है
ऋषि पंचमीभद्र माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी को ऋषि पंचमी कहते हैं। यह व्रत अनजाने में हुए पापों से मुक्ति दिलाता है
सूर्या छठभाद्र मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को सूर्य षष्ठी कहते हैं। इस दिन गंगा स्नान जप तथा व्रत करने से अक्षय पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
दुबड़ी सातेभाद्र मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तू मनाई जाती है।
यह व्रत संतान की मंगल कामना हेतु किया जाता है।
राधा अष्टमी व्रत भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को कृष्णप्रिया राधा जी का जन्म हुआ था इसीलिए यह दिन राधा अष्टमी के रूप में मनाया जाता है
महालक्ष्मी व्रत:यह व्रत राधा अष्टमी के दिन से शुरू करके 16 दिन तक रखते हैं
पद्मा एकादशीपरिवर्तनीय या देव झुलनी एकादशी यह भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी है
वामन द्वादशी:भाद्र माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को वामन द्वादशी कहते हैं।
गाज का व्रतव्रत भाद्र माह में किया जाता है। किसी के यहां पुत्र पैदा हुआ हो या पुत्र का विवाह हो तो उसी वर्ष के भाद्रपद माह में किसी भी शुभ दिन को देखकर राज का व्रत कर उजमन कर दिया जाता है।
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वंदना शर्मा जी
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