मोक्ष की राह आसान करता है यह व्रत
आज यानी 19 अगस्त को श्रद्धालु दामोदर द्वादशी का व्रत करेंगे। भारतीय धर्म ग्रंथों के अनुसार दामोदर द्वादशी का व्रत भगवान विष्णु के भक्तों द्वारा आस्थापूर्वक किया जाता है। श्रावण महीने के महीने में शुक्ल पक्ष की द्वादशी पर दामोदर द्वादशी मनाई जाती है। दामोदर भगवान विष्णु के कई नामों में से एक है। श्रावण माह आकाश में सितारों के श्रवण नक्षत्र की उपस्थिति से चिह्नित है। यह महीना मुख्य रूप से भगवान शिव को समर्पित है। इस शुभ महीने के दौरान भगवान शिव की पूजा करने वाले भक्तों को बहुत से लाभ मिल सकते हैं, जिन्हें भगवान शिव द्वारा आशीर्वादित किया जाता है। श्रावण माह मानसून के मौसम से भी जुड़ा हुआ है जो फसलों की कटाई और सूखे की रोकथाम के लिए महत्वपूर्ण है। इसलिए, सावन के महीनों को विशेष रूप से देवताओं के लिए माना जाता है। दामोदर द्वादशी के पिछले दिन पवित्रा एकादशी व्रत या पुत्रदा एकादशी के रूप में मनाया जाता है जो भगवान विष्णु को भी समर्पित है। पुत्रदा एकादशी या पवित्र एकादशी का निरीक्षण करने वाले भक्त अक्सर भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद द्वादशी के दिन भगवान शिव को भोग लगा के फिर प्रसाद प्राप्त कर अपने उपवास को तोड़ते हैं और अपनी मनोकामना को पूर्ण प्रार्थना करते हैं।
दामोदर द्वादशी उपवास विधि –
दामोदर द्वादशी के दिन विधि विधान से किया गया व्रत उपवास हर भक्त की सभी मनोकामना पूर्ण के विशेष माना गया है। दामोदर द्वादशी दिन उपवास तोड़ने के बाद मीठा खाना व ब्राह्मणों को पेट भर भोजन खिलाना शुभ माना गया है। ब्राह्मणों को दान और दान के रूप में कपड़े और अनाज दान करें। ऐसा माना जाता है कि भक्त जो दामोदर द्वादशी व्रत का पालन करते हैं, उन्हें परम मोक्ष सदगति की प्राप्ति होती है। दामोदर व्रत का पालन करने से अनुयायियों को अविश्वसनीय लाभ मिलते हैं।
दामोदर द्वादशी पूजन विधि-:
दामोदर द्वादशी के व्रत का पालन करने के बहुत सारे नियम हैं। इस दिन प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व उठकर नित्यक्रियाओं से निवृत होने के पश्चात् स्नान करें। अब स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद पुरे दिन उपवास का पालन करें। इस दिन अन्न का सेवन भूल कर भी ना करें। अब भगवान विष्णु को धूप, फूल, मिठाई, जल, दीपक लगाएं। इसके पश्चात् भगवान विष्णु का पंचामृत अभिषेक करें। अगर आपके घर के आसपास भगवान् विष्णु का कोई मंदिर हैं तो वहाँ जाकर उनके दर्शन करें। अब विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र ||विष्णु सहस्त्रनाम|| और भागवत का पाठ करें या सुने। अब ब्राह्मणों को वस्त्र और अनाज दान करें। मान्यताओं के अनुसार जो भी व्यक्ति पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ दामोदर द्वादशी व्रत का पालन करता हैं,उन्हें मृत्यु के पश्चात् मोक्ष की प्राप्ति होती है। दामोदर व्रत का पालन करने से अनुयायियों को बहुत सारे लाभ प्राप्त होते है।
पौराणिक कथा
एक यादव कन्या थीं, जो एकादशी व्रत करती और द्वादशी को पारण करतीं। बेहद गरीब होने के चलते वह दही बेचकर जीवन यापन करती थी। एक बार उसने एकदाशी का व्रत किया और द्वादशी को पारण करना था। उसने सोचा कि आज दही थोड़ा है जल्द बिक जाएगा। उसे बेचने के बाद वह पारण कर लेगी। उस दिन कृष्ण और राधा रास कर रहे थे। उस दौरान राधा ने गूलर के वृक्ष जोर से हिलाया। गूलर का दिव्य पुष्प कन्या की मटकी में जा गिरा। जिसके प्रभाव से मटकी का दही बढऩे लगा जोकि खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था। यह क्रम पूरे दिन चलता रहा है और अनजाने में कन्या ने द्वादशी का व्रत भी कर लिया, जिससे हरि प्रसन्न हुए और उस कन्या को बैकुंठ की प्राप्ति हुई।
दामोदर द्वादशी के लाभ
जो भी व्यक्ति दामोदर द्वादशी तिथि के दिन पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ भगवान विष्णु का पूजन करता है उसे अग्नष्टोम यज्ञ का फल प्राप्त होता और वह मृत्यु के पश्चात् सतलोक में जाता है। जो व्यक्ति दामोदर द्वादशी तिथि को दिन-रात व्रत करके भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करता है, उसे गोमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है और उसे मृत्यु के पश्चात् स्वर्ग की प्राप्ति होती है। श्रावण मास में पड़ने वाली द्वादशी तिथि के दिन उपवास करके भगवान् विष्णु की पूजा करने वाले पुरुष को नरमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है और वो पुरुष महान पुण्य का भागी होता है। जो व्यक्ति श्रावण मास की द्वादशी तिथि के दिन-रात व्रत करके भगवान श्रीधर की पूजा करता है,उसे पंच महायज्ञों का फल प्राप्त होता है और उस व्यक्ति के जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं रहती है। दामोदर द्वादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सौत्रामणि यज्ञ का फल प्राप्त होता है और उस व्यक्ति की आत्मा पवित्र हो जाती है। दामोदर द्वादशी तिथि के दिन-रात व्रत करके भगवान् विष्णु की पूजा करने से मनुष्य को सहस्र गोदान का पुण्यफल प्राप्त होता है।