जो व्रत गृहस्थादि सभी आश्रमों को सुख प्रदान करने वाला हो, उस शिवरात्रि व्रत का माहात्म्य आपको अनेकों ग्रंथों का खोज पश्चात हम ज्ञान ज्ञान संजीवनी डिजिटल पत्रिका द्वारा सुलभता से बताने जा रहे हैं। ~आचार्य अभिजीत
देव देव महादेव नीलकंठ नमोस्तुते ।
कर्तुमिच्छाम्यहं देव शिवरात्रि व्रतं तथा।।
नमो वेदस्वरूपाय वेद गोचरमूर्तये।
पार्वतीश नमस्तुभ्यं जगदीश नमोस्तुते।।
वैसे तो भगवान साम्बसदाशिव त्रिपुरारी आशुतोष को प्रसन्न करने के लिए वेदादि शास्त्रों में अनेकों व्रत, अनुष्ठान इत्यादि का उपाय वर्णित है। किन्तु जो व्रत सभी वर्गों के लिए सुलभ एवं अति सरल हो तथा महादेव को अति शीघ्र प्रसन्न करने वाला हो, जो व्रत गृहस्थादि सभी आश्रमों को सुख प्रदान करने वाला हो, उस शिवरात्रि व्रत का माहात्म्य आपको अनेकों ग्रंथों का खोज पश्चात हम ज्ञान ज्ञान संजीवनी डिजिटल पत्रिका द्वारा सुलभता से बताने जा रहे हैं।वैसे तो शिवरात्रि व्रत प्रत्येक माह में आता है। जिसे श्रद्धालु जन अति उत्साह पूर्वक करते है। किन्तु इन सभी मासिक शिवरात्रि व्रतों में श्रवण माह में आने वाला शिवरात्रि व्रत को सबसे महत्वपूर्ण तथा शीघ्र फलदायी बताया गया है। वैसे तो भोग और मोक्ष दोनों ही आध्यात्मिक व्यक्ति के लिए एक दुसरे के विपरीत कल्पना है , लेकिन गृहस्थ आश्रम को पालन करने वाले व्यक्ति भोग और मोक्ष दोनों की ही कामना करते हैं, इसलिए हमने अपने उद्देश्य के तहत शास्त्रों का खोज करने के पश्चात सभी कामनाओ को पूर्ण करने वाला यह श्रावण शिवरात्रि का व्रत उत्तम फल को प्रदान करते हुवे मोक्ष की और ले जाता है।
शिवरात्रि व्रत के महात्म्य में कहा गया है कि, लगातार एक वर्ष तक भगवान शिव की पूजा कर के जो पुण्य अर्जित किया जाता है, उतना ही पुण्य सावन माह के शिवरात्रि व्रत का विधिपूर्वक पालन करने से प्राप्त हो जाता है।
कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि भगवन शिव को अत्यंत प्रिय है , इस उत्तम व्रत को करने वाले भक्त को इस दिन भोजन सर्वथा त्याग करना चाहिए। इस व्रत को छोड़कर दूसरा कोई मनुष्यों के लिए हितकारक व्रत नहीं हैं। यह व्रत सबके लिए धर्म साधन हैं। निष्काम अथवा सकाम भाव रखने वाले सभी मनुष्यों, वर्णों,आश्रमों,स्त्रियों, बालकों,दासों, दासियों तथा देवता आदि सभी देहधारियों के लिए यह श्रेष्ठ व्रत हितकारक बताया गया है।
सावन मास के कृष्ण पक्ष में शिवरातत्रि तिथि का विशेष महत्व बतलाया गया है। जिस दिन आधी रात के समय तक वह तिथि विद्यामान हो , उस दिन का व्रत करोड़ों हत्याओं का पाप नाश करने वाली है। उस दिन क्या करना चाहिए सो विस्तार पूर्वक पढ़ें।
व्रत विधि –
शिव चतुर्दशी व्रत में महादेव शिव के साथ माता पार्वती, गणेश जी, कार्तिकेय जी एवं शिवगणों की पूजा की जाती है। शिव जी की पूजा में प्रथम भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है। उनके अभिषेक में जल, दूध, दही, शुद्ध घी, शहद, शक्कर या चीनी, गंगाजल तथा गन्ने के रसे आदि से अभिषेक किया जाता है। अभिषेक करने के बाद बेलपत्र, समीपत्र, कुशा तथा दुर्बा आदि चढ़ाकर शिवजी को प्रसन्न करते हैं। पूजा के अंत में गांजा,भांग, धतूरा तथा श्री फल(नारियल) शिव जी को भोग के रुप में समर्पित किया जाता है। शिव चतुर्दशी के दिन पूरा दिन निराहार रहकर इनके व्रत का पालन किया जाता है। शिव चतुर्दशी के दिन रात्रि के समय शिव मंत्रों का जाप करना चाहिए।
शंकराय नमस्तुभ्यं नमस्ते करवीरक।
त्र्यम्बकाय नमस्तुभ्यं महेश्वरमत: परम्।।