“प्रातःकालीन सूर्यदेव स्वास्थ्यप्रद पोषक तत्वों को लाकर जीवों को प्रदान करते हैं। ज्ञानी मनुष्य इस तथ्य से परिचित होते हैं एवं वे सूर्योदय से पूर्व उठकर सूर्यरश्मियों से सन्निहित प्राणतत्व के लाभ से कृतकृत्य होते है। ” – आचार्य अभिजीत
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हमारी दिनचर्या में प्रातः जागरण का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है। से प्रारंभ होता है जो रात्रि शयन पर्यंत अविराम चलते रहता है। मानव जीवन के सुयोग्य स्वास्थ्य एवं व्यक्तित्व निखार हेतु सूर्योदय से लगभग २ घंटा पूर्व ब्रह्म मुहूर्त प्रारम्भ होता है। वेदो में रात्रि के अंतिम प्रहर को ब्रह्म मुहूर्त माना गया है। उस समय निद्रासन से उठने वाला व्यक्ति अस्वस्थ्य नहीं होता है । बुद्धिमान लोग इस समय का सदुपयोग कर आध्यात्मिक ऊर्जा का भरपूर लाभ लेते है।
प्राता रत्नं प्रातरित्वा दधाति तं चिकित्वान्प्रतिगृह्य नि धत्ते। तेन प्रजां वर्धयमान आयू रायस्पोषेण सचेत सुवीरः।। ( ऋग० १-१२५-१)
प्रातःकालीन सूर्यदेव स्वास्थ्यप्रद पोषक तत्वों को लाकर जीवों को प्रदान करते हैं। ज्ञानी मनुष्य इस तथ्य से परिचित होते हैं एवं वे सूर्योदय से पूर्व उठकर सूर्यरश्मियों से सन्निहित प्राणतत्व के लाभ से कृतकृत्य होते है। उससे मनुष्य, दीर्घायुष्य प्राप्त करके, उत्तम संतानों के लाभ से युक्त होकर धन सम्पदा और स्वस्थ जीवन प्राप्त करते हैं। निद्रा एवं उससे संबंधित आलस्य का त्याग करना ही प्राथमिकता होनी चाहिए,वेदों में प्रातः उठकर देवतओं को स्मरण करनेका विधान कहा गया है।
प्रातरग्निं प्रातरिन्द्रं हवामहे प्रातर्मित्रावरुणा प्रातरश्विना । प्रातर्भगं पूषणं ब्रह्मणस्पतिं प्रातस्सोममुत रुद्रं हुवेम ॥ (ऋग् ७- ४१- १)
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ईश्वर स्वप्रकाशस्वरूप सर्वज्ञ हैं । परम ऐश्वर्य के दाता और परम ऐश्वर्य युक्त हैं । आप प्राण और उदान के समान हमें प्रिय हैं। आप सर्वशक्तिमान् हैं । आपने सूर्य और चन्द्र को उत्पन्न किया है । हम आपकी स्तुति करते हैं । आप भजनीय हैं, सेवनीय हैं, पुष्टिकर्त्ता हैं। आप अपने उपासक, वेद तथा ब्रह्माण्ड के पालनकर्त्ता हैं । आप हमारे अन्तर्यामी और प्रेरक हैं । हे जगदीश्वर ! आप पापियों को रुलानेवाले तथा सर्वरोगनाशक हैं। हम प्रातः वेला में आपकी स्तुति-प्रार्थना करते हैं।
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आधुनिक विज्ञान के दृष्टि से भी ब्रह्म मुहूर्त मानव जीवन के लिए अत्यंत लाभकारी है क्योकि इस समय वातावरण सब शुद्ध रहता है। ध्यान और एकांत साधना के लिए भी इस मुहूर्त से उत्तम मन जाता है। गुरुकुलों में ब्रह्मचारीगण इस समय संध्या वंदन एवं गायत्री उपासना करते हैं। योगीजन इस समय अपनी सम्पूर्ण ऊर्जा के साथ परम शांति की और अग्रसर होते हैं। दृढ निश्चयी लोग इस समय ध्यान योगासन एवं प्राणायाम करके दिनभर की ऊर्जा प्राप्त करते हैं। इसी समय वनौषधियों का तेज जागृत होता है। इसलिए पूर्ण स्वस्थ रहने के लिए कल्याण के इच्छुक व्यक्ति को प्रात:काल ब्रम्ह मुहूर्त में उठना चाहिए। ब्रम्ह मुहूर्त की ब़डी महिमा है। इस समय उठने वाला व्यक्ति स्वास्थ्य, धन, विद्या, बल और तेज को बढ़ाता है और जो सूर्य उगने के समय सोता है, उसकी उम्र और शक्ति घटती है तथा वह नाना प्रकार की बीमारियों का शिकार होता है।
ब्राह्मे मुहूर्ते बुध्येत धर्मार्थौ चानु चिन्तयेत्। कायक्लेशांश्च तन्मूलान्वेदतत्वार्थ मेव च।। उत्थायावश्यकं कृत्वा कृत शौचः समाहितः। पूर्वां संध्यां जपंस्तिष्ठेत्स्वकाले चापरां चिरम।। (मनुस्मृति)
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