वृद्धाश्रम में प्रवेश करते ही वृद्ध शामली ने कहा, “अरे कोई है यहां पर? बस में एक महीने के लिए ही यहां रुकूंगी “। मैं अपने बेटे से ज्यादा दिन तक दूर नहीं रह सकती और मेरा बेटा भी तो मुझे बहुत चाहता है, वो ही कैसे अधिक दिन मेरे से दूर रह पायेगा। फिर मेरा बेटा यहां से मुझे अपने साथ विदेश ले जायेगा।जब तक वहां पर मेरी बहु और बेटे सही तरीके से सेटिल हो जायेंगे।
बस वह बड़बड़ाये जा रही थी।


वृद्धाश्रम के मैनेजर प्रकाश बाबू ने कमरे में प्रवेश होने पर, उस वृद्ध शामली की सभी बातें सुनी और कहने लगे, माई ! “यहां पर जब कोई बेटा छोड़ जाता है, तो वो कभी वापस लेने नहीं आता।
पर, माई झुंझलाकर बोली, चुप रहिए। मेरा बेटा ऐसा नहीं है। वो तो मेरे बिना रह ही नहीं सकेगा।मेरा बेटा लाखों में एक है। इस तरह व्यथित वृद्धा अपने पुत्र की याद करते हुए बातें करती रही और दिन बीत गया।
दूसरे दिन शामली ने मैनेजर प्रकाश बाबू से कहा कि जरा मेरे बेटे को फोन लगा दीजिए।
ट्रिंग ट्रिंग घंटी बजी, बेटे ने फोन उठाया, उधर से बेटे ने मां की राजी खुशी पूछी और मां ने बेटे की।
बेटे ने कहा, मैं ठीक हूं। जैसे ही मेरी सेटिंग हो जायेगी। मैं जल्दी ही लेने आऊंगा। और फोन रख दिया।
मां पूछती ही रह गई कि बेटा खाना खाया कि नहीं तब तक तो फोन रखा जा चुका था।
इसी तरह मैनेजर से फोन लगवाकर अक्सर फोन पर बात होती रहती थी और बेटा आने का वादा करता रहता था।
इस तरह एक एक दिन निकलता जा रहा था और वृद्धा शामली बड़ी ही व्यग्रता से बेटे के आने की वाट जोहती रहती थी। महीना भी बीत गया।
एक दिन फिर वृद्धा ने फोन लगाया, पर बेटे ने फोन उठाया ही नहीं।कई बार फोन लगाने पर जब उसने उठाया भी, तो कह दिया मैं व्यस्त हूं।
इसी तरह अक्सर होता रहा,।
तो मैनेजर ने कहा, अब तुम्हारा बेटा नहीं आने वाला लेने के लिए।
यहां छोड़ कर विदेश जाने वाले बेटे फिर कभी लेने नहीं आते, मैंने कहा था ना माई, मैनेजर बोला।
इस पर वृद्धा कहने लगी, मेरा बेटा ऐसा नहीं,वो तो मुझे बहुत प्यार करता है। अभी सेटिंग नहीं हुई होगी।व्यस्त होगा। वह अपने आप फोन करेगा मुझे।
अब फोन लगाने पर बेटा ने फोन उठाना ही बंद कर दिया और शामली बेटे के फोन का इंतजार करती रहती।
वृद्धा शामली अब बहुत उदास रहने लगी ।
एक दिन वह शाम के सात बजे अपने सीने से कोई तस्वीर लगाये अपने पलंग पर शांत लेटी थी। मैनेजर ने स्वंय ही उसके बेटे को फोन लगाया ट्रिंग ट्रिंग, पर फोन नहीं उठा।कई बार फोन करने पर भी जब फोन नहीं उठा, तो मैनेजर ने माई से कहा ,तुम्हारा बेटा,तो फोन ही नहीं उठा रहा।…..
अधखुली आंखों से शामली देख रही थी सीने से तस्वीर लगाये।
मैनेजर के आवाज देने पर भी शामिली जब कुछ ना बोली तो, मैनेजर ने उसे हिलाया, पर ये क्या? वह तो शांत हो चुकी थी, अपने पुत्र की तस्वीर सीने से लगाये, बेटे के फोन करें इंतजार में……

स्वरचित
सुमित्रा गुप्ता सखी

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