होलिका दहन मुहूर्त New Delhi, India के लिए
होलिका दहन मुहूर्त :18:36:38 से 20:56:23 तक अवधि :2 घंटे 19 मिनट
भद्रा पुँछा :10:27:50 से 11:30:34 तक
भद्रा मुखा :11:30:34 से 13:15:08 तक. होली 29, मार्च को
होलिका दहन, होली त्योहार का पहला दिन, फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसके अगले दिन रंगों से खेलने की परंपरा है जिसे धुलेंडी, धुलंडी और धूलि आदि नामों से भी जाना जाता है। होली बुराई पर अच्छाई की विजय के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। होलिका दहन (जिसे छोटी होली भी कहते हैं) के अगले दिन पूर्ण हर्षोल्लास के साथ रंग खेलने का विधान है और अबीर-गुलाल आदि एक-दूसरे को लगाकर व गले मिलकर इस पर्व को मनाया जाता है।
होलिका दहन की कथा –
हिरण्यकश्यप का पुत्रबित्तों की बातें सुनकर शेर क्यों डर गया? प्रह्लाद, भगवान विष्णु का परम भक्त था। पिता के लाख कहने के बावजूद प्रह्लाद विष्णु की भक्ति करता रहा। असुर पुत्र होने के बावजूद नारद मुनि की शिक्षा के परिणामस्वरूप प्रह्लाद महान नारायण भक्त बना। असुराधिपति हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को मारने की भी कई बार कोशिश की परन्तु भगवान स्वयं उसकी रक्षा करते रहे और उसका बाल भी बांका नहीं हुआ। असुर राजा की बहन होलिका को भगवान शंकर से ऐसी चादर मिली थी जिसे ओढ़ने पर अग्नि उसे जला नहीं सकती थी। होलिका उस चादर को ओढ़कर प्रह्लाद को गोद में लेकर चिता पर बैठ गई। दैवयोग से वह चादर उड़कर प्रह्लाद के ऊपर आ गई, जिससे प्रह्लाद की जान बच गई और होलिका जल गई। इस प्रकार हिन्दुओं के कई अन्य पर्वों की भाँति होलिका-दहन भी बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है।
होलिका दहन, होली त्यौहार का पहला दिन, फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसके अगले दिन रंगों से खेलने की परंपरा है जिसे धुलेंडी, धुलंडी और धूलि आदि नामों से भी जाना जाता है। होली बुराई पर अच्छाई की विजय के उपलक्ष्य में मनाई जाती है।
होलिका दहन का शास्त्रोक्त नियम –
फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से फाल्गुन पूर्णिमा तक होलाष्टक माना जाता है, जिसमें शुभ कार्य वर्जित रहते हैं। पूर्णिमा के दिन होलिका-दहन किया जाता है। इसके लिए मुख्यतः दो नियम ध्यान में रखने चाहिए –
1. पहला, उस दिन “भद्रा” न हो। भद्रा का ही एक दूसरा नाम विष्टि करण भी है, जो कि 11 करणों में से एक है। एक करण तिथि के आधे भाग के बराबर होता है।
2. दूसरा, पूर्णिमा प्रदोषकाल-व्यापिनी होनी चाहिए। सरल शब्दों में कहें तो उस दिन सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्तों में पूर्णिमा तिथि होनी चाहिए।
होलिका दहन (जिसे छोटी होली भी कहते हैं) के अगले दिन पूर्ण हर्षोल्लास के साथ रंग खेलने का विधान है और अबीर-गुलाल आदि एक-दूसरे को लगाकर व गले मिलकर इस पर्व को मनाया जाता है।
होलिका दहन का इतिहास
होली का वर्णन बहुत पहले से हमें देखने को मिलता है। प्राचीन विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हम्पी में 16वीं शताब्दी का चित्र मिला है जिसमें होली के पर्व को उकेरा गया है। ऐसे ही विंध्य पर्वतों के निकट स्थित रामगढ़ में मिले एक ईसा से 300 वर्ष पुराने अभिलेख में भी इसका उल्लेख मिलता है। कुछ लोग मानते हैं कि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने पूतना नामक राक्षसी का वध किया था। इसी ख़ुशी में गोपियों ने उनके साथ होली खेली थी।
राशि के अनुसार होलिका दहन –
मेष राशि: जिन लोगों की राशि मेष है, वे होलिका दहन खैर या खादिर की लकड़ी से करें। ऐसा करने से मानसिक परेशानियोंं को दूर करने में मदद मिलेगी।
वृष राशि: आपकी राशि में अंगारक योग का निर्माण हो रहा है। मंगल और राहु के साथ आने से यह योग बनता है। वृष राशि वाले गूलर की लकड़ी से होलिका दहन करें। कार्यों में आने वाली बाधाएं दूर होंगी।
मिथुन राशि: होलिका दहन निर्धारित शुभ मुहूर्त में करें। अपामार्ग और गेंहू की बाली से हालिका दहन करें। धन से जुड़ी परेशानियां दूर होंगी।
कर्क राशि: जॉब और करियर में शुभ फल प्राप्त करने के लिए कर्क राशि वाले पलाश की लकड़ी से होलिका दहन करें।
सिंह राशि: व्यापार से जुड़ी परेशानियों को दूर करने के लिए सिंह राशि वाले मदार की लकड़ी से होलिका दहन करें। होलिका दहन के समय पितरों को जरूर याद करें।
कन्या राशि: कार्यक्षेत्र में यदि बाधाओं का सामना करना पड़ा है तो कन्या राशि के जातक अपामार्ग की लकड़ी से होलिका दहन करें। सभी देवी देवताओं का स्मरण भी करें।
तुला राशि: प्रतिद्वंदी यदि परेशानी उत्पन्न कर रहे हैं तो तुला राशि वाले जातक होलिका दहन में गूलर की लकड़ी जलाएं।
वृश्चिक राशि: मानसिक परेशानी और भ्रम की स्थिति को दूर करने के लिए खैर की लकड़ी से हालिका दहन करें, लाभ मिलेगा।
धनु राशि: उच्च पद की प्राप्ति में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए धनु राशि वाले पीपल की लकड़ी से होलिका दहन करें और भगवान विष्णु की पूजा करें।
मकर राशि: शनि और गुरु ग्रह आपकी राशि में गोचर कर रहे हैं। आप पर शनि की साढ़ेसाती भी है। होलिका दहन शमी की लकड़ी से करें। आने वाली परेशानियां दूर होंगी।
कुंभ राशि: कर्ज आदि की समस्या से यदि परेशान हैं तो शमी की लकड़ी से होलिका दहन करें।
मीन राशि: स्वास्थ्य संबंधी परेशानी बनी हुई या किसी अन्य प्रकार की बाधा का सामना करना पड़ रहा है तो पीपल की लकड़ी से होलिका दहन करें। पितरों का आभार व्यक्त करें।