यह प्रश्न सब करते हैं क्या अध्यात्म की शिक्षा क्यों आवश्यक है? जीवन में इतनी अच्छी गुणवत्ता वाली शिक्षा है और जीवन की उन्नति के लिए वह काफी है। फिर क्यों हमें आवश्यकता पड़ती है अध्यात्म मार्ग पर चलने की?
हर व्यक्ति अपने स्तर से ऊंचा उठना चाहता है, यदि उसके पास साइकिल है तो मोटरसाइकिल और मोटरसाइकिल है तो वह चार पहिया का वाहन खरीदना चाहता है। इसकेलिए मनुष्य बहुत मेहनत करता है। चाहे व्यक्तिगत रूप से हो, पूरा राष्ट्र हो गरीब से अमीर होने का सपना उनका रहता है और एक दिन परिश्रम के बल पर अपना सपना पूरा भी कर लेते हैं।
जब एक व्यक्ति पैसा कमा लेता है और अब वह अमीर हो गया है किसी समय यदि उसकी 5000 महीने की आमदनी थी तो आज मैं दिन में 5000खर्च करने के लायक हो गया है किंतु आगे क्या? अब गाड़ी से चलेगा मेहनत नहीं करेगा बहुत सारी उसको बीमारियां मिलेंगी। उस की खूब सारी दवाइयां चलने लगेंगी पैसे के दिखावे के लिए नशा करेगा उसका लीवर काम नहीं करेगा मृत्यु के समीप आ जाएगा।
फिर जब तक सही चल रहा है तो मनुष्य सोचता है कि मेरी मेहनत का फल है जब उसके साथ कुछ गलत होने लगता है या उसका सोचा हुआ नहीं होता तब उसके मन में यह प्रश्न कौन है वह मेरे साथ बुरा कर रहा है?
स्तर को ऊंचा उठाना एक बात है परिश्रम करके आप कर सकते हैं लेकिन उसमें सच्चा सुख कैसे प्राप्त करें? उस धन का सदुपयोग कैसे करें? यदि आपने आध्यात्मिक शिक्षा नहीं ली तो आप विश्वास कीजिए केवल बीमारियां और दुखी पाएंगे।
आपके मन में उठने वाले प्रश्नों का उत्तर नहीं मिलेगा?
भारतीय संस्कृति में अनेक राजाओं ने किसी को चोर में गुरु दिखाई दिया, किसी को भिखारी में तो किसी ने वेश्या को गुरु माना। क्यों इतने साहूकारों ने इतने बड़े राजाओं ने मामूली लोगों को अपना गुरु बनाया? क्योंकि इन लोगों के पास आध्यात्मिक शिक्षा थी। धन चाहे ना हो और यह बिना धन के भी खुश थे और वो राजा सब कुछ होते हुए भी दुखी थी।