Month: April 2021

श्रीमद्भगवद्गीता-अध्याय ८

अक्षर ब्रह्मं योग(अर्जुन के सात प्रश्नो के उत्तर) अर्जुन उवाचकिं तद्ब्रह्म किमध्यात्मं किं कर्म पुरुषोत्तम।अधिभूतं च किं प्रोक्तमधिदैवं किमुच्यते॥ (१) भावार्थ : अर्जुन ने पूछा – हे पुरुषोत्तम! यह “ब्रह्म”…

जानें कैसे हुवे प्रथम पूज्य श्री गणेश जी

हर मांगलिक अनुष्ठान और देवी-देवताओं की पूजा से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इसलिए, श्रीगणेश को प्रथम पूज्य भी कहा जाता है। ग्रंथों में भगवान गणेश के…

नवार्ण मंत्र महत्व: एवं जप विधि

माता भगवती जगत् जननी दुर्गा जी की साधना-उपासना के क्रम में, नवार्ण मंत्र एक ऐसा महत्त्वपूर्ण महामंत्र है। नवार्ण अर्थात नौ अक्षरों का इस नौ अक्षर के महामंत्र में नौ…

विद्वत्शिरोमणि जगद्गुरु श्री रामानुजाचार्य: जयंती विशेषांक

वैष्णव आचार्यों में प्रमुख रामानुजाचार्य की शिष्य परम्परा में ही रामानंद हुए थे जिनके शिष्य कबीर और सूरदास थे। रामानुज ने वेदांत दर्शन पर आधारित अपना नया दर्शन विशिष्ट द्वैत…

।।अन्नपूर्णा स्तोत्र ।।

नित्यानन्दकरी वराभयकरी सौन्दर्य रत्नाकरीनिर्धूताखिल घोर पावनकरी प्रत्यक्ष माहेश्वरी ।प्रालेयाचल वंश पावनकरी काशीपुराधीश्वरीभिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥1॥ नाना रत्न विचित्र भूषणकरि हेमाम्बराडम्बरीमुक्ताहारविलम्बमान विलसद्वक्षोज कुम्भान्तरी।काश्मीरागरु वासिता रुचिकरी काशीपुराधीश्वरीभिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी॥2॥ योगानन्दकरी…

श्रीरामरक्षा स्तोत्रं

विनियोगःअस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य बुधकौशिक ऋषिः। श्री सीतारामचंद्रो देवता । अनुष्टुप्‌ छंदः। सीता शक्तिः। श्रीमान हनुमान्‌ कीलकम्‌ । श्री सीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे रामरक्षास्तोत्रजपे विनियोगः । अथ ध्यानम्‌ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपद्मासनस्थं पीतं वासो वसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम्‌…

श्रीमद्भगवद्गीता-अध्याय ४

ज्ञान कर्म सन्यास योग(कर्म-अकर्म और विकर्म का निरुपण) श्री भगवानुवाचइमं विवस्वते योगं प्रोक्तवानहमव्ययम्‌ ।विवस्वान्मनवे प्राह मनुरिक्ष्वाकवेऽब्रवीत्‌ ॥ (१) भावार्थ : श्री भगवान ने कहा – मैंने इस अविनाशी योग-विधा का…

गणगौर व्रत का महत्व एवं उसकी कथा

चैत्र का महीना हिंदुओं के लिए बहुत ही पवित्र महीना है। अलग अलग राज्य में अलग-अलग नामों से सही लेकिन बहुत ही उत्साह के साथ इस महीने में त्योहार मनाए…

श्रीमद्भगवद्गीता -अध्याय ३

कर्म योग(कर्म-योग और ज्ञान-योग का भेद) अर्जुन उवाचज्यायसी चेत्कर्मणस्ते मता बुद्धिर्जनार्दन।तत्किं कर्मणि घोरे मां नियोजयसि केशव॥ (१)भावार्थ : अर्जुन ने कहा – हे जनार्दन! हे केशव! यदि आप निष्काम-कर्म मार्ग…

॥ शिव सहस्रनाम स्तोत्रम् ॥

ॐ स्थिरः स्थाणुः प्रभुर्भीमः प्रवरो वरदो वरः ।सर्वात्मा सर्वविख्यातः सर्वः सर्वकरो भवः ॥ १॥जटी चर्मी शिखण्डी च सर्वांगः सर्वभावनः ।हरश्च हरिणाक्षश्च सर्वभूतहरः प्रभुः ॥ २॥प्रवृत्तिश्च निवृत्तिश्च नियतः शाश्वतो ध्रुवः ।श्मशानवासी…

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