श्रीतुलसी चालीसा
॥ दोहा॥जय जय तुलसी भगवती सत्यवती सुखदानी।नमो नमो हरि प्रेयसी श्री वृन्दा गुन खानी॥श्री हरि शीश बिरजिनी, देहु अमर वर अम्ब।जनहित हे वृन्दावनी अब न करहु विलम्ब॥॥ चौपाई ॥धन्य धन्य…
॥ दोहा॥जय जय तुलसी भगवती सत्यवती सुखदानी।नमो नमो हरि प्रेयसी श्री वृन्दा गुन खानी॥श्री हरि शीश बिरजिनी, देहु अमर वर अम्ब।जनहित हे वृन्दावनी अब न करहु विलम्ब॥॥ चौपाई ॥धन्य धन्य…
देशबन्धः चित्तस्य धारणा ॥१॥तत्र प्रत्ययैकतानता ध्यानम् ॥२॥तदेवार्थमात्रनिर्भासं स्वरूपशून्यमिवसमाधिः ॥३॥त्रयमेकत्र संयमः ॥४॥तज्जयात् प्रज्ञालोकः ॥५॥तस्य भूमिषु विनियोगः ॥६॥त्रयमन्तरन्गं पूर्वेभ्यः ॥७॥तदपि बहिरङ्गं निर्बीजस्य ॥८॥व्युत्थाननिरोधसंस्कारयोः अभिभवप्रादुर्भावौ निरोधक्षण चित्तान्वयो निरोधपरिणामः ॥९॥तस्य प्रशान्तवाहिता संस्कारत् ॥१०॥सर्वार्थता एकाग्रातयोः…
वैदिक सनातन में प्रायः प्रत्येक संस्कार, व्रतोद्यापन, हवन आदि यज्ञ यज्ञादि में पञ्चाङ्ग पूजन का विधान है। षोडशोपचार या पञ्चोपचार अर्चन का क्रम सामान्यतः प्रचलित है। अतः तत्सबंधी मंत्र दे…