Month: September 2020

शुक्लयजुर्वेद माध्यन्दिन संहिता : अध्याय २६ –३०

शुक्लयजुर्वेद माध्यन्दिन संहिता षड्विंशोध्यायः हरिः ॐ अ॒ग्निश्च॑ पृथि॒वी च॒ सन्न॑ते॒ ते मे॒ सं न॑मताम॒दो वा॒युश्चा॒न्तरि॑क्षं च॒ सन्न॑ते॒ ते मे॒ सं न॑मताम॒दआ॑दि॒त्यश्च द्यौश्च॒ सन्न॑ते॒ ते मे॒ सं न॑मताम॒द आप॑श्च॒ वरु॑णश्च॒ सन्न॑ते॒…

नीलगगन में उड़ जाऊं

काव्य रचनासुंदर संदेशात्मक अपने मन को पंक्षी बनाकर,नीलगगन उड़ जाऊँ ।उड़ उड़ के मैं हर मानव को,ये संदेश सुनाऊँ ।मानव बनकर तुमनेयह कैसा कोहराम मचायामार काट क्यों मचा रहे होये…

सोम प्रदोष व्रत कथा एवं सम्पूर्ण विधि

सोम प्रदोष व्रत का महत्वसोम प्रदोष व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। यह व्रत करने से शिव जी अपने भक्तों पर हमेशा कृपा बनाए रखते…

शुक्लयजुर्वेद माध्यन्दिन संहिता : अध्याय २१ –२५

शुक्लयजुर्वेद माध्यन्दिन संहिता एकविंशोध्यायः हरिः ॐ इ॒मं मे॑ वरुण श्रु॒धी हव॑म॒द्या च॑ मृडय । त्वाम॑स्व॒स्युरा च॑के ।। १ ।।तत्त्वा॑ यामि॒ ब्रह्म॑णा॒ वन्द॑मान॒स्तदा शा॑स्ते॒ यज॑मानो ह॒विर्भि॑: ।अहे॑डमानो वरुणे॒ह बो॒ध्युरु॑शᳪस॒ मा न॒…

चतुःश्लोकी भागवत् : अर्थ सहित

इन चार श्लोकों में है पूरी भागवत कथा, आप भी पढ़िएपुराणों के मुताबिक, इस चतु:श्लोकी भागवत के पाठ करने या फिर सुनने से मनुष्य के अज्ञान जनित मोह और मदरूप…

एकादशी व्रत कथा: पद्मिनी एकादशी

पद्मिनी एकादशी व्रत कथा एवं विधि पद्मिनी एकादशी माहात्म्य अर्जुन ने कहा: हे भगवन् ! अब आप अधिक ( पुरुषोत्तम) मास की शुक्लपक्ष की एकादशी के विषय में बतायें, उसका…

शंकराचार्य कृत श्रीगोविन्दाष्टकं

सत्यं ज्ञानमनन्तं नित्यमनाकाशं परमाकाशंगोष्ठप्रांगणरिंगणलोलमनायासं परमायासम्।मायाकल्पितनानाकारमनाकारं भुवनाकारंक्ष्माया नाथमनाथं प्रणमत गोविन्दं परमानन्दम्।।१।। मृत्स्नामत्सीहेति यशोदाताडनशैशवसंत्रासंव्यादितवक्त्रालोकितलोकालोकचतुर्दशलोकालिम्।लोकत्रयपुरमूलस्तम्भं लोकालोकमनालोकंलोकेशं परमेशं प्रणमत गोविन्दं परमानन्दम्।।२।। त्रैविष्टपरिपुवीरघ्नं क्षितिभारघ्नं भवरोगघ्नंकैवल्यं नवनीताहारमनाहारं भुवनाहारम्।वैमल्यस्फुटचेतोवृत्तिविशेषाभासमनाभासंशैवं केवलशान्तं प्रणमत गोविन्दं परमानन्दम्।।३।। गोपालं भूलीलाविग्रहगोपालं कुलगोपालंगोपीखेलनगोवर्धनधृतिलीलालालितगोपालम्।गोभिर्निगदितगोविन्दस्फुटनामानं बहुनामानंगोपीगोचरदूरं प्रणमत गोविन्दं परमानन्दम्।।४।। गोपीमण्डलगोष्ठीभेदं भेदावस्थमभेदाभंशश्वद्गोखुरनिर्धूतोद्धतधूलीधूसरसौभाग्यम्।श्रद्धाभक्तिगृहीतानन्दमचिन्त्यं चिन्तितसद्भावंचिन्तामणिमहिमानंप्रणमतगोविन्दं…

मूल नक्षत्र में जन्म का फल

आद्ये पिता नाशमुपैति मूलपादे द्वितीये जननीं तृतीये।धनं चतुर्थस्य शुभोऽथ शान्त्यासर्वत्रसत्स्यादहिभे विलोमम्।। मूल नक्षत्र के प्रथम चरण में जन्म हो तो पिता का नाश होता है। द्वितीय चरण में माता को…

शुक्लयजुर्वेद माध्यन्दिन संहिता:अध्याय-१६-२०

शुक्लयजुर्वेद माध्यन्दिन संहिता षोडशोध्यायः हरिः ॐ नम॑स्ते रुद्र म॒न्यव॑ उ॒तो त॒ इष॑वे॒ नम॑: । बा॒हुभ्या॑मु॒त ते॒ नम॑: ।। १ ।।या ते॑ रुद्र शि॒वा त॒नूरघो॒राऽपा॑पकाशिनी । तया॑ नस्त॒न्वा शन्त॑मया॒ गिरि॑शन्ता॒भि चा॑कशीहि…

नाशवान शरीर व अवतारी शरीर में अंतर

सभी चर अचर प्राणी, यह सम्पूर्ण सृष्टि पंच महाभूतों से बनी हुई है और यह सभी का अनुभव है कि कोई भी अपनी इच्छा से यह शरीर धारण नहीं करते…

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