Month: July 2020

आइए गीता पर एक दृष्टि डालें

गीता तात्पर्य -श्रीमद्भगवदगीता विश्व के सबसे बडे़ महाकाव्य महाभारत के “भीष्मपर्व” का एक अंश है। भगवद्गीता भगवान कृष्ण द्वारा कुरूक्षेत्र युध्द में दिया गया दिव्य उपदेश है जब अर्जुन मोहग्रस्त…

मेष राशि (एक परिचय)

आद्यः स्मृतो मेष समान मूर्ति कालस्य मूर्धा गदितः पुराणैः।सोsजाविका संचर कन्दराद्रिस्--तेयाग्निधात्वाकररत्नभूमिः।।  मेष राशि का स्वामी मंगल होता है। मंगल ग्रह जीवन में पराक्रम और उत्साह का कारक होता है। मेष राशि…

मृग, काग और धूर्त गीदड़ की कहानी (हितोपदेश: श्री नारायण पंडित)

मगध देश में चंपकवती नामक एक महान अरण्य था, उसमें बहुत दिनों में मृग और कौवा बड़े स्नेह से रहते थे। किसी गीदड़ ने उस मृग को हट्ठा- कट्ठा और…

आधुनिक मानसिकता और वेद

मानव समाज का पतन और उत्थान  लोगों की मानसिक स्थिति पर निर्भर करता है,और यही स्थिति मानव जीवन के भविष्य की सीढ़ी बनती है,जिसके सकारात्मक स्थिति से  कोई शंकराचार्य बनता…

।। भारतीय शिक्षा का इतिहास।।

भारतीय शिक्षा का इतिहास भारतीय सभ्यता के इतिहास से जुड़ा है। भारतीय समाज के विकास तथा परिवर्तनों की रूपरेखा में शिक्षा की जगह और उसकी भूमिका को भी निरंतर विकासशील…

सगोत्र विवाह अनुचित है, पर होता रहा है।

चचेरी, ममेरी, फुफेरी, मौसेरी या फुआ, मौसी आदि (दूधशरीकी को छोड़कर) के साथ विवाह को लेकर पश्चिम के देशों में शोध किए गए हैं। इसीतरह का एक शोध ब्रिटेन में…

।।सत्यमेव जयते।। सदा सत्य बोलें।

सत्यं ब्रूयात्प्रियं ब्रूयान्न ब्रूयात्सत्यमप्रियम्।प्रियं च नानृतं ब्रूयादेष धर्म: सनातन:।।मनु स्मृति ४/१३८ मनुष्य सत्य बोले। प्रिय बोले। अप्रिय सत्य न बोले। प्रिय भी असत्य न बोले। यही सनातन (चिरकाल से चला…

श्रावण में देवाधिदेव महादेव को करें प्रसन्न !! रुद्राभिषेक से होने वाले लाभ !!

आप जिस उद्देश्य की पूर्ति हेतु रुद्राभिषेक करा रहे हैं उसके लिए किस द्रव्य का इस्तेमाल करना चाहिए इसका उल्लेख शिव पुराण में किया गया है। वहीं से उद्धृत कर…

दशावतार-कथा एवं सृष्टि के विकास-क्रम की कहानी

दसवाँ अवतार कल्कि नाम से शस्त्रधारी मानव-रूप में होगा। यही है दशावतार का क्रम। इसमें सृष्टि का क्रमिक विकास छिपा हुआ है। विज्ञान की दृष्टि से भी इसका महत्त्व है।…

शिवरात्रि के पावन अवसर पर भगवान शिव के पर्यायवाची शब्दों पर विचार

त्रि + अम्बक = त्र्यम्बक का सामान्य अर्थ होता है तीन आँखों वाला। यह शब्द मृत्युंजय/ महामृत्युंजय मंत्र में आया है- ”त्र्यंबकं यजामहे…”। अबि (अम्ब) शब्दे – अष्टा. :१/२६२ सूत्र…

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