यज्ञोपवीत क्यों धारण करे ?
सनातन वैदिक धर्म व संस्कृति में मनुष्य के 16 संस्कार किये जाने का विधान है। इनमें से एक संस्कार उपनयन संस्कार कहलाता है, जिसे यज्ञोपवीत, जनेऊ, उपवीत, यज्ञसूत्र, व्रतबन्ध, बलबन्ध,…
सनातन वैदिक धर्म व संस्कृति में मनुष्य के 16 संस्कार किये जाने का विधान है। इनमें से एक संस्कार उपनयन संस्कार कहलाता है, जिसे यज्ञोपवीत, जनेऊ, उपवीत, यज्ञसूत्र, व्रतबन्ध, बलबन्ध,…
एक ऋषी रोज की तरह अपने पीतल के लोटे को मांज रहे थे। काफी देर तक लोटा मांजने के बाद जब वह उठे तो उनके एक शिष्य ने सवाल किया…
प्रसिद्ध देवासुर संग्राम के पश्चात् इस धरा पर दो महाभयंकर विश्वयुद्ध हुए हैं। पहला रोमहर्षक राम-रावण युद्ध और दूसरा महाभयंकर महाभारत युद्ध। इन दोनों महायुद्धों में विश्व के प्राय: सभी…
ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिंगं निर्मलभासित शोभितलिंगम्।जन्मजदु:खविनाशकलिंगं तत्प्रणमामि सदाशिवलिंगम्।।1।। देवमुनिप्रवरार्चितलिंगं कामदहं करुणाकरलिंगम्।रावणदर्पविनाशन लिंगं तत्प्रणमामि सदाशिवलिंगम् ।।2।। सर्वसुगंधिसुलेपित लिंगं बुद्धि विवर्धनकारणलिंगम् ।सिद्धसुरासुरवंदितलिंगं तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम्।।3।। कनकमहामणिभूषितलिंगं फणिपति वेष्टित शोभितलिंगम् ।दक्षसुयज्ञविनाशकलिंगं तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ।।4।। कुंकुमचन्दनलेपितलिंगंं…
महिम्न: पारं ते परमविदुषो यद्यसदृशी स्तुतिर्ब्रह्मादीनामपि तदवसन्नास्त्वयि गिर: ।अथावाच्य: सर्व: स्वमतिपरिणामावधि गृणन्ममाप्येष स्तोत्रे हर निरपवाद: परिकर: ।।1।। अतीत: पन्थानं तव च महिमा वाड्मनसयो – रतद्व्यावृत्त्या यं चकितमभिधत्ते श्रुतिरपि ।स कस्य स्तोतव्य: कतिविधगुण:…
पशूनां पतिं पापनाशं परेशं गजेन्द्रस्य कृत्तिं वसानं वरेण्यम।जटाजूटमध्ये स्फुरद्गाङ्गवारिं महादेवमेकं स्मरामि स्मरारिम।1। महेशं सुरेशं सुरारार्तिनाशं विभुं विश्वनाथं विभूत्यङ्गभूषम्।विरूपाक्षमिन्द्वर्कवह्नित्रिनेत्रं सदानन्दमीडे प्रभुं पञ्चवक्त्रम्।2। गिरीशं गणेशं गले नीलवर्णं गवेन्द्राधिरूढं गुणातीतरूपम्।भवं भास्वरं भस्मना भूषिताङ्गं भवानीकलत्रं भजे पञ्चवक्त्रम्।3। शिवाकान्त शंभो शशाङ्कार्धमौले महेशानशूलिञ्जटाजूटधारिन्।त्वमेको जगद्व्यापको विश्वरूप: प्रसीद प्रसीद…
रत्नै: कल्पितमासनं हिमजलै: स्नानं च दिव्याम्बरंनानारत्नविभूषितं मृगमदामोदांकितं चन्दनम्।जातीचम्पकबिल्वपत्ररचितं पुष्पं च धूपं तथादीपं देव दयानिधे पशुपते हृत्कल्पितं गृह्यताम्।।1।।हे दयानिधे! हे पशुपते! हे देव! यह रत्ननिर्मित सिंहासन, शीतल…
वृद्धाश्रम में प्रवेश करते ही वृद्ध शामली ने कहा, “अरे कोई है यहां पर? बस में एक महीने के लिए ही यहां रुकूंगी “। मैं अपने बेटे से ज्यादा दिन…