हिंदू पंचांग या सनातन धर्म में सातवां महीना अश्वनी का होता है और यह महीना दुर्गा जी को समर्पित है साथ ही से महीने में श्राद्ध पितृपक्ष आते हैं और अश्वनी में आने वाले सभी प्रमुख त्योहारों की सूची ज्ञान संजीवनी पत्रिका में इस प्रकार हैः

पितृ / श्राद्ध आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से अमावस्या तक का समय होता है।
सांझीयह रूप मां दुर्गा का ही है। उत्तर- पश्चिम भारत में कई जगह पर पूर्णमासी से अमावस्या तक साझीं गोबर व मिट्टी से दीवार पर घरों में बनाई जाती है। कुंवारी लड़कियां पूजन करती है। हर्ष और उल्लास के साथ सांझी मैया के भजन गाए जाते हैं।
महालक्ष्मी व्रत
यह व्रत पिछले महीने भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से प्रारंभ होकर अश्वनी मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तक चलता है इसमें लक्ष्मी जी का पूजन किया जाता है।
जीवित्पुत्रिका व्रतयह व्रत अश्वनी मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जीवित्पुत्रिका व्रत में मनाया जाता है सूरत में सूर्य नारायण की पूजा की जाती है।
आशा भगोती व्रत
यह व्रत अश्वनी मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी से प्रारंभ होकर 8 दिन तक चलता है संतान प्राप्ति के लिए महिलाएं यह व्रत करती हैं।
मातृ नवमी
मास की कृष्ण पक्ष की नवमी मातृ नवमी कहलाती है।
इंदिरा एकादशी
अश्वनी मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी इंदिरा एकादशी कहलाती है। भटके हुए पितरों की गति सुधारने वाली है यह एकादशी और इस दिन शालिग्राम जी की पूजा की जाती है।
पितृ विसर्जन अमावस्या
आश्विन मास की अमावस्या पितृ विसर्जन अमावस्या के नाम से जानी जाती है। इस दिन ब्राह्मण भोज व दान से पितरों को तृप्त किया जाता है।
नवरात्रि प्रारंभ
अश्वनी मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक मां दुर्गा जी के नवरात्रि आरंभ होते हैं।
अशोक व्रत
अश्वनी मास के शुक्ल प्रतिपदा को किया जाता है। इस दिन अशोक के वृक्ष की पूजा की जाती है। व्रत को करने मान्यता है कि स्त्री-पुरुष शिवलोक को प्राप्त होते हैं।
दुर्गा अष्टमी
अश्वनी माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को दुर्गा अष्टमी के रुप में मनाते हैं।
विजया दशमी या दशहरा
अश्वनी मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है।
पापाकुंशा एकादशी
अश्वनी मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापाकुंशा एकादशी कहते हैं। यह एकादशी पाप रूपी हाथी को महावत रूपी अंकुश से बेधने के कारण पापाकुंशा एकादशी कहलाती है।
इस एकादशी का व्रत रखने से समस्त पापों नाश हो जाता है, इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए एवं ब्राह्मणों को भोजन कराकर दक्षिणा देकर विदा करना चाहिए।
पद्मनाभ द्वादशी
यह व्रत अश्वनी मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को किया जाता है। इस दिन भगवान पद्मनाभ की पूजा की जाती है।
वाराह चतुर्दशी
वाराह चतुर्दशी का व्रत अश्वनी मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को किया जाता है और इस दिन भगवान वाराह की पूजा का की जाती है।
इसी दिन भगवान विष्णु ने वाराह के रूप में अवतार लिया था।
शरद पूर्णिमा
अश्वनी मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं।
इसे रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन चंद्रमा अमृत की वर्षा करता है इसलिए रात को खीर बनाकर सारी रात चंद्रमा की चांदनी में रखकर सुबह प्रसाद के रूप में खाने से मनुष्य आरोग्य प्राप्त करता है।
इस दिन पूर्णिमा का व्रत किया जाता है।
error: Content is protected !!