ज्ञान संजीवनी

कहाँ ढूँढूँ कहाँ जाऊँ,
कहाँ पूँछू कहाँ पाऊँ—2
अरे ओ सांवरे अरे ओ रावरे,
अरे ओ रावरे अरे ओ सांवरे—-2

तेरे दर की मैं दीवानी
तेरे दर की मैं मस्तानी–2
फिरूँ मैं दर-ब-दर होके,
मैंने तो मिलने की ठानी–2
कहाँ ढूँढूँ कहाँ जाऊँ,
कहाँ पूँछू कहाँ पाऊँ—2
अरे ओ सांवरे अरे ओ रावरे,
अरे ओ रावरे अरे ओ सांवरे—-2

मैंने ढूँढाँ तुझे माता-पिता और बन्धु-बान्धव में–2
मगर तुम ना नज़र आये,
ये कहते हो कि माया है-2
कहाँ ढूँढूँ कहाँ जाऊँ,
कहाँ पूँछू कहाँ पाऊँ—2
अरे ओ सांवरे अरे ओ रावरे,
अरे ओ रावरे अरे ओ सांवरे—-2

मैंने ढूँढाँ तुझे जीवन- साथी और बच्चों में—2
मगर तुम ना नज़र आये,
ये कहते हो कि मोह-ममता है–2
कहाँ ढूँढूँ कहाँ जाऊँ,
कहाँ पूँछू कहाँ पाऊँ—2
अरे ओ सांवरे अरे ओ रावरे,
अरे ओ रावरे अरे ओ सांवरे—-2

मैंने ढूँढाँ तुझे तन-मन में धन में और सृष्टि में—2
मगर तुम ना नज़र आये,
ये कहते हो कि नश्वर—2
बताओ अब कहाँ ढूँढूँ,
कहाँ जाऊँ,कहाँ पाऊँ—2
कहाँ ढूँढूँ कहाँ जाऊँ,
कहाँ पूँछू कहाँ पाऊँ—2
अरे ओ सांवरे अरे ओ रावरे,अरे ओ रावरे अरे ओ सांवरे—-2

ग्रन्थों का सार सन्तों ने समझाकर जब है बतलाया-2 तुम ही तुम नज़र आये,
जगत के रूप में छाये-2
दया सेवा औ करुणा में तुम्हें पाया, तुम्हें जाना—2
कहाँ ढूँढूँ कहाँ जाऊँ,
कहाँ पूँछू कहाँ पाऊँ—2
अरे ओ सांवरे अरे ओ रावरे,
अरे ओ रावरे अरे ओ सांवरे—-2

भगत्वत्सल,दयासागर,
कृपासागर हो कहलाये—2 सखी में पा लिया मैंने,
तुम्हीं में मिल गयी मैं तो–2
हाँ सखी ने पा लिया तुमको,
हाँ मैंने पा लिया तुमको—2 मुझी में पा लिया मैंने,
तुम्हीं में मिल गयी मैं तो–2
अरे ओ सांवरे अरे ओ रावरे,
अरे ओ रावरे अरे ओ सांवरे—-

सांवरे-सांवरिया प्यारे की जय

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