श्री तुलसी माता की आरती
जय जय तुलसी माता,सब जग की सुखदाता।॥ जय जय तुलसी माता।।सब योगों के ऊपर,सब लोगों के ऊपर,रुज से रक्षा करके भव त्राता।॥ जय जय तुलसी माता।।बटु पुत्री है श्यामा,सूर बल्ली…
जय जय तुलसी माता,सब जग की सुखदाता।॥ जय जय तुलसी माता।।सब योगों के ऊपर,सब लोगों के ऊपर,रुज से रक्षा करके भव त्राता।॥ जय जय तुलसी माता।।बटु पुत्री है श्यामा,सूर बल्ली…
संस्कृत भाषा केवल विचार सम्प्रेषण का माध्यम ही नहीं है।सभी भाषाएँ में उस भाषा के बोलने वाले लोगों के आचरण, परम्पराओं और संस्कृति की वाहक भी रहती हैं। जो लोग…
भगवद्गीता का बारहवाँ अध्याय भक्तियोग के नाम से प्रसिद्ध है। यह भगवद्गीता के अठारह अध्यायों में से सर्वाधिक लोकप्रिय अध्यायों में परिगणित है। आकार की दृष्टि से भले ही यह…
कुदरत ने हमको दी हैंअनंत संपदा अनंत संपदाइनके बिना ना जीवनजी पाएगा कोई भीहम सबको संभालनी हैये अनंत संपदा ये अंनत संपदापेड़ों बिना न जीवनकोई पा सके जहां मेंअन्न,फल, फूल,…
मुदा करात्तमोदकं सदा विमुक्तिसाधकंकलाधरावतंकसकं विलासिलोकरंजकम्अनायकैकनायकं नमामि तं विनायम्नताशुभाशुनाशकं नमामि तं विनायम्नतेतरातिभीकरं नवोदितार्कभास्वरंनमत्सुरारिनिर्जरं नताधिकापदुद्धरम्सुरेश्वरं निधीश्वरं गजेश्वरं गणेश्वरंमहेश्वरं तमाश्रये परात्परं निरन्तरम्समस्तलोकशंकरं निरस्तदैत्यकुंजरंदरेतरोदरं वरं वरेभवक्त्रमक्षरम्कृपाकरं क्षमाकरं मुदाकरं यशस्करंमनस्करं नमस्कृतां नमस्करोमि भास्वरम्अकिंचनार्तिमार्जनं चिरन्तनोक्तिभाजनंपुरारिपूर्वनन्दनं सुरारिगर्वचर्वणम्प्रपंचनाशभीषणं…
जो भी मनुष्य ऊँचे कर्म या सर्वोत्तम कर्म करते हैं वे कहीं न कहीं आध्यात्मिकता से जुड़े हुए होते हैं, उनमें कहीं न कहीं आध्यात्मिक अंश,सात्विक अंश अवश्य सामान्य मनुष्य…
॥ दोहा ॥जय जय श्री महालक्ष्मी करूँ माता तव ध्यानसिद्ध काज मम किजिये निज शिशु सेवक जान॥ चौपाई ॥नमो महा लक्ष्मी जय माता।नाम जगत विख्याता।।आदि शक्ति हो माता भवानीपूजत सब…
1) बालगणपति – Baalganapati2) भालचन्द्र – Bhalchandra3) बुद्धिनाथ – Buddhinath4) धूम्रवर्ण – Dhumravarna5) एकाक्षर – Ekakshar6) एकदन्त – Ekdant7) गजकर्ण – Gajkarn8) गजानन – Gajaanan9) गजनान – Gajnaan10) गजवक्र –…
।।दोहा।।कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अंग।पद्मासन स्थित ध्याइये, शंख चक्र के संग।। ।।चौपाई।।जय सविता जय जयति दिवाकर।सहस्त्रांशु ! सप्ताश्व तिमिरहर।।भानु ! पतंग ! मरीची ! भास्कर।l सविता ! हंस सुनूर…
श्री गणेश वन्दनावर्णानामर्थसंघाना रसानां छन्दसामपि।मंगलानां च कर्तारौ वन्दे वाणीविनायकौ ।।गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बू फल चारु भक्षणम।उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम।। श्री गणपति नमस्कारविघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय।नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषितायगौरीसुताय गणनाय नमो…